पटना के मरीन ड्राइव का नामकरण होगा - ‘गंगा किनारे’

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार की राजधानी पटना में गंगा नदी के तट पर बने जेपी गंगा पथ को लोग अब तक ‘मरीन ड्राइव’ के नाम से जानते हैं। दीघा गोलंबर से सटे इस क्षेत्र को अब एक नया रूप दिया जा रहा है। सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है और इसका नामकरण किया गया है ‘गंगा किनारे’। इस परियोजना के पूरा होते ही पटना वासियों के साथ-साथ बिहार आने वाले पर्यटक भी गंगा की अद्भुत सुंदरता और महत्ता को नए अंदाज़ में देख पाएंगे।

जेपी गंगा पथ के आसपास लगभग 13,500 वर्ग फुट क्षेत्र को सजाया-संवारा जाएगा। यहां आने वाले सैलानियों के लिए न सिर्फ आधुनिक सुविधाएं होंगी बल्कि गंगा की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्ता को भी प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि ‘गंगा किनारे’ केवल घूमने-फिरने की जगह न रहकर बिहार की धरोहर और अध्यात्म का प्रतीक बने।

परियोजना के तहत 15 से अधिक आर्क गेट बनाए जाएंगे। इन गेटों पर गंगा के अलग-अलग नाम जैसे मंदाकिनी, देव नदी, भागीरथी, सुरसरिता, जाह्नवी आदि अंकित होंगे। हर गेट की ऊंचाई करीब 25 फीट होगी, जो सैलानियों को भव्यता का अनुभव कराएगी। इन गेटों के निर्माण का जिम्मा चेन्नई के कारीगरों को सौंपा गया है।

‘गंगा किनारे’ घूमने आने वाले लोगों को गंगा के उद्गम से लेकर उसके विभिन्न प्रवाह क्षेत्रों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही गंगा के धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक पहलुओं को भी दर्शाया जाएगा। इससे न केवल युवाओं और बच्चों को ज्ञान मिलेगा बल्कि आम लोग भी गंगा की ऐतिहासिक भूमिका और महत्व को समझ पाएंगे।

परियोजना के तहत दीघा गोलंबर क्षेत्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा और म्यूरल लगाया जाएगा। इसके अलावा लोकनायक जयप्रकाश नारायण से जुड़े विशेष स्मारक भी स्थापित किए जाएंगे। इससे यह क्षेत्र केवल सैर-सपाटा नहीं बल्कि प्रेरणा और स्मृति का केंद्र भी बनेगा।

पटना के निवासियों को अब गंगा किनारे एक आधुनिक, स्वच्छ और आकर्षक स्थल मिलेगा जहां वे परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकेंगे। वहीं, बिहार आने वाले पर्यटकों के लिए यह स्थान यात्रा का अनिवार्य पड़ाव बन जाएगा। गंगा की सुंदरता, आर्क गेटों की भव्यता और ऐतिहासिक स्मारक मिलकर पटना को पर्यटन मानचित्र पर और मजबूत पहचान देंगे।

‘मरीन ड्राइव’ से ‘गंगा किनारे’ तक की यह यात्रा केवल नाम बदलने की नहीं बल्कि पहचान और उद्देश्य बदलने की कहानी है। यह परियोजना बिहार की संस्कृति, इतिहास और अध्यात्म को पर्यटन से जोड़ते हुए पटना को नई पहचान देगी। आने वाले समय में ‘गंगा किनारे’ न सिर्फ पटना बल्कि पूरे बिहार का गौरव स्थल बनेगा।



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