स्पाइसजेट ने बढ़ाया हवाई सफर का डिजिटल कदम - “पेपरलेस होगा बोर्डिंग”

Jitendra Kumar Sinha
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हवाई यात्रा अब और भी सुविधाजनक तथा पर्यावरण-अनुकूल होने जा रही है। एयरलाइंस कंपनी स्पाइसजेट ने देश में डिजिटल नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कंपनी ने शिलांग हवाई अड्डे पर पेपरलेस बोर्डिंग प्रक्रिया शुरू की है। अब यात्रियों को पारंपरिक बोर्डिंग पास प्रिंट कराने की झंझट से छुटकारा मिलेगा और उन्हें व्हाट्सऐप पर ही बोर्डिंग पास उपलब्ध कराया जाएगा।

हर साल एयरलाइंस कंपनियां लाखों यात्रियों को बोर्डिंग पास जारी करती हैं। इसमें कागज और प्रिंटिंग की भारी खपत होती है, जो पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव डालती है। स्पाइसजेट का यह प्रयास न केवल यात्रियों को सुविधा देगा, बल्कि कागज रहित यात्रा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान करेगा। यह पहल "गो ग्रीन" मुहिम को मजबूती देती है।

इस नई व्यवस्था के तहत जब कोई यात्री चेक-इन करेगा, तो उसके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर सीधे व्हाट्सऐप संदेश के रूप में बोर्डिंग पास भेज दिया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब यात्रियों को अलग से ई-मेल खोजने या काउंटर पर प्रिंटआउट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फोन पर उपलब्ध डिजिटल बोर्डिंग पास को ही दिखाकर यात्री आसानी से सुरक्षा जांच और बोर्डिंग गेट तक पहुंच सकेंगे।

पेपरलेस बोर्डिंग प्रक्रिया से यात्रियों का समय बचेगा। पहले जहां लंबी लाइनों में खड़े होकर काउंटर से बोर्डिंग पास लेना पड़ता था, वहीं अब यह काम मिनटों में पूरा हो जाएगा। मोबाइल-आधारित बोर्डिंग पास से यात्रा का अनुभव और भी सहज तथा स्मार्ट हो जाएगा।

स्पाइसजेट की योजना है कि इस व्यवस्था को जल्द ही देश के अन्य हवाई अड्डों पर भी लागू किया जाए। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि भारतीय एविएशन सेक्टर की डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ी छलांग भी होगी। अगर यह व्यवस्था देशभर में लागू हो जाती है, तो भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा जहां हवाई यात्रा पूरी तरह डिजिटल अनुभव के साथ संभव है।

स्पाइसजेट का यह कदम यात्रियों के लिए सुविधा और तेजी लेकर आएगा, वहीं दूसरी ओर यह पर्यावरण-अनुकूल पहल भी साबित होगी। पेपरलेस बोर्डिंग प्रक्रिया आने वाले समय में भारतीय विमानन उद्योग को नई पहचान दिलाएगी और यात्रियों के अनुभव को और बेहतर बनाएगी।

कह सकते हैं कि आने वाले दिनों में जब यात्री केवल मोबाइल पर एक डिजिटल बोर्डिंग पास लेकर विमान में सवार होंगे, तो यह वास्तव में तकनीक और पर्यावरण के संगम का बेहतरीन उदाहरण होगा।



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