बिहार सरकार ने राज्य के हर जिले में प्रदर्शन सह बिक्री केंद्र (Exhibition-cum-Sales Centre) खोलने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य है, स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों को एक सशक्त मंच प्रदान करना, ताकि शिल्पकार, कारीगर, छोटे उद्यमी और स्वरोजगार से जुड़े लोग अपने उत्पादों को बड़े स्तर पर प्रदर्शित कर सकें और बिक्री बढ़ा सकें।
उद्योग विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, यह पहल सीधे तौर पर ‘एक जिला, एक उत्पाद’ और ‘एक प्रखंड, एक उत्पाद’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं से जुड़ी होगी। इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी जिले या प्रखंड की पारंपरिक पहचान और वहां के विशेष उत्पाद को राष्ट्रीय एव अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जा सके।
बिहार के ग्रामीण और शहरी इलाकों में हजारों की संख्या में ऐसे कारीगर और उद्यमी मौजूद हैं, जिनकी कला और उत्पाद सीमित बाजार तक ही सिमटकर रह जाते हैं। इन केंद्रों के माध्यम से उन्हें न केवल अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा, बल्कि सीधी बिक्री की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इससे उद्यमियों को अपने उत्पादों की वास्तविक कीमत भी मिल सकेगी।
इस योजना से रोजगार सृजन की संभावनाएं भी मजबूत होंगी। जहां एक ओर स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर बिक्री केंद्रों में नए रोजगार भी पैदा होंगे। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर बिहार के संकल्प को गति मिलेगी।
इन बिक्री केंद्रों का लाभ सिर्फ उत्पादकों को ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी होगा। अब लोग अपने ही जिले के विशेष और पारंपरिक उत्पादों को आसानी से खरीद पाएंगे। इससे एक ओर उपभोक्ताओं को शुद्ध, गुणवत्तापूर्ण और स्थानीय सामान मिलेगा, वहीं दूसरी ओर बिचौलियों की भूमिका कम होगी।
इन केंद्रों के जरिए न सिर्फ व्यापार बढ़ेगा बल्कि हर जिले की सांस्कृतिक पहचान और हस्तशिल्प परंपरा को भी बढ़ावा मिलेगा। जब पर्यटक बिहार आएंगे तो इन बिक्री केंद्रों से उन्हें हर जिले के अनोखे और पारंपरिक उत्पाद एक ही जगह उपलब्ध होंगे। इससे बिहार के हस्तशिल्प और कला को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
बिहार सरकार की यह पहल राज्य के छोटे और मध्यम उद्यमियों, कारीगरों और हस्तशिल्पकारों के लिए वरदान साबित हो सकती है। हर जिले में खुलने वाले प्रदर्शन सह बिक्री केंद्र न केवल स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार और बिक्री को बढ़ावा देंगे, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे। यह कदम आर्थिक विकास, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की ओर एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
