पटना जिला में महादलित समुदाय के वास रहित परिवारों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। जिला प्रशासन ने घोषणा की है कि ऐसे लगभग दो हजार परिवारों को जमीन उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके पास रहने के लिए अपनी वास भूमि नहीं है। यह कदम न केवल बेघर परिवारों को स्थायी आश्रय देगा, बल्कि उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी मददगार साबित होगा।
जिला प्रशासन ने सभी अंचल अधिकारियों (सीओ) को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सरकारी भूमि की पहचान करें और उसका सीमांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। चिह्नित भूमि को वास रहित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) परिवारों को आवंटित किया जाएगा। इसके तहत अब तक एक हजार से अधिक लाभुकों को वास भूमि का पर्चा और उसकी रसीद दिया जा चुका है।
यह पहल डॉ आंबेडकर समग्र सेवा अभियान के अंतर्गत चल रहा है। इस अभियान के तहत एससी-एसटी टोले में विशेष विकास शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें सरकार की 22 कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई और उससे संबंधित आवेदन आमंत्रित किया गया। इन शिविरों में 3,226 लोगों ने वास भूमि न होने की शिकायत दर्ज कराई थी।
प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए एक हजार से अधिक लोगों के आवेदनों का निपटारा कर उन्हें वास भूमि के पर्चे उपलब्ध करा दिए हैं। शेष दो हजार लोगों के लिए भूमि चिह्नित करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जिला पदाधिकारी (डीएम) डॉ त्यागराजन एसएम ने खुद लाभुकों को पर्चा प्रदान किया, जिससे उन्हें न केवल कानूनी स्वामित्व मिला बल्कि स्थायी निवास का सपना भी साकार होने लगा।
जमीन का मालिकाना हक मिलने से इन महादलित परिवारों के जीवन में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। इससे उन्हें सरकारी आवास योजनाओं, बैंक ऋण, और अन्य सामाजिक-आर्थिक योजनाओं का लाभ लेने में आसानी होगी। अब तक बेघर या अस्थायी झोपड़ियों में रहने वाले लोग अपने पक्के घर का सपना पूरा कर पाएंगे।
पटना प्रशासन की यह पहल महादलित समुदाय के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। वास भूमि का वितरण केवल एक जमीन का टुकड़ा देने भर का मामला नहीं है, बल्कि यह गरिमा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है। जब शेष 2000 परिवारों को भी यह सुविधा मिल जाएगी, तो न केवल उनके जीवनस्तर में सुधार होगा बल्कि समाज में बराबरी और न्याय की भावना भी मजबूत होगी।
