राहुल गांधी द्वारा लगाए गए मतदाता सूची में गड़बड़ी और वोट चोरी के आरोपों को चुनाव आयोग ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। आयोग का कहना है कि अगर राहुल गांधी को अपने आरोपों पर भरोसा है तो उन्हें नियम 20(3)(b) के तहत शपथपत्र देकर इसका समर्थन करना चाहिए, अन्यथा उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार ने जाति जनगणना के लिए जिस मतदाता सूची का उपयोग किया था, वही सूची चुनाव आयोग की थी, इसलिए “नकली वोट” का आरोप निराधार है।
राहुल गांधी के इन आरोपों ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उन्होंने ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चेतावनी दी और इस मामले को सड़क से संसद तक ले जाने की बात कही। कांग्रेस नेताओं ने भी बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर सवाल उठाए और कहा कि इसका मकसद चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर करना है। विपक्ष का आरोप है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं, जैसे एक ही कमरे में 80 मतदाताओं के नाम दर्ज होना। कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को संसद में उठाने की मांग की, जिनमें सुप्रिया सुले और केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन शामिल हैं, जिन्होंने त्रिश्शूर में 50 से 60 हजार फर्जी वोट होने का दावा किया।
इस बीच, कांग्रेस ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया और जयपुर में हुए प्रदर्शन में हजारों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। दिल्ली में विरोध मार्च के दौरान राहुल गांधी समेत 300 से अधिक विपक्षी नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार में SIR के दौरान हजारों शिकायतों पर कार्रवाई की गई और नए मतदाताओं का पंजीकरण किया गया, जिसे उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफाई का हिस्सा बताया, जबकि विपक्ष इसे मतदाता सूची में हेरफेर और लोकतंत्र पर हमला मान रहा है।
