भारतीय वायुसेना अब पुराने रूसी मिग-21 विमानों को स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों से बदलने जा रही है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को 120 तेजस Mk2 का ऑर्डर दिया गया है और आगे चलकर यह संख्या 200 से भी ज्यादा हो सकती है। मिग-29, मिराज-2000 और जगुआर जैसे लगभग 230 पुराने विमान भी चरणबद्ध तरीके से इनसे रिप्लेस किए जाएंगे। तेजस Mk2 को 4.5 पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर माना जा रहा है जो Mk1A से भी ज्यादा एडवांस है। इसमें जीई एफ414 इंजन और भारत में बने उत्तम एईएसए रडार जैसी आधुनिक तकनीकें लगाई जाएंगी। एचएएल पहले से तीन असेंबली लाइनें चला रहा है जिनकी क्षमता 2028 तक 30 विमान हर साल बनाने की होगी। तेजस Mk2 की शुरुआती उत्पादन क्षमता 24 विमान प्रति वर्ष रखी गई है जिसे आगे 30 तक बढ़ाया जा सकता है। भारत और जीई के बीच समझौते के बाद अब एफ414 इंजन का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। यह न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है बल्कि भारतीय वायुसेना की ताकत को भी नई ऊंचाई देगा।
