संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को आयकर (नंबर 2) विधेयक लोकसभा से पास हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे पेश किया और सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। यह नया बिल 1961 के इनकम टैक्स कानून की जगह लेगा और इसमें प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें शामिल हैं। इससे पहले 13 फरवरी 2025 को आयकर विधेयक पेश किया गया था, जिसे समिति की 285 सिफारिशों के बाद वापस ले लिया गया और संशोधित रूप में यह नया बिल लाया गया।
वित्त मंत्री ने इसे S.I.M.P.L.E नाम दिया था, जिसमें सुव्यवस्थित भाषा, संक्षिप्तता, मुकदमेबाजी में कमी, पारदर्शिता, सीखने और अनुकूलन की क्षमता तथा कुशल टैक्स सुधार जैसे सिद्धांत शामिल हैं। नया विधेयक दशकों पुराने जटिल टैक्स ढांचे को लगभग आधा सरल कर देता है, भाषा को आसान बनाता है, कटौतियों को स्पष्ट करता है और प्रावधानों के बीच क्रॉस रेफरेंसिंग मजबूत करता है। यह गृह संपत्ति से आय पर होने वाली अस्पष्टताओं को भी दूर करता है।
बिल में मुख्य बदलावों में टैक्स रिफंड पर राहत, देर से दाखिल रिटर्न के बावजूद रिफंड का दावा करने की सुविधा और टीडीएस देर से भरने पर जुर्माना न लगना शामिल है। जिन पर टैक्स देनदारी नहीं है, वे अग्रिम में Nil-TDS सर्टिफिकेट ले सकते हैं। कुछ टैक्सपेयर्स के लिए परिवर्तित (Commuted) पेंशन पर स्पष्ट कटौती का प्रावधान किया गया है। गृह संपत्तियों से आय पर 30% मानक कटौती और गृह ऋण पर ब्याज में राहत दी गई है, साथ ही किराये की संपत्ति के वार्षिक मूल्य के निर्धारण में नए नियम अपनाए गए हैं।
MSME की परिभाषा को भी 2020 के संशोधन के अनुरूप किया गया है, जहां सूक्ष्म इकाई के लिए निवेश 1 करोड़ से कम और कारोबार 5 करोड़ से कम, तथा लघु इकाई के लिए निवेश 10 करोड़ और कारोबार 50 करोड़ से कम होना तय किया गया है।
सबसे अहम बात यह है कि मौजूदा टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया और अदालतों में परिभाषित मुख्य शब्द वैसे ही रहेंगे।
