बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दो वोटर आईडी (ई-पिक) मामले में चुनाव आयोग को अपना लिखित जवाब सौंप दिया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर 16 अगस्त तक एक वोटर आईडी जमा करने का निर्देश दिया था। आयोग का आरोप था कि तेजस्वी के पास दो अलग-अलग ई-पिक नंबर मौजूद हैं, जिनमें से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने सार्वजनिक रूप से दिखाया था। आयोग का कहना था कि वह ई-पिक नंबर फर्जी है और उसके आधार पर मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं हो सकता।
तेजस्वी ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए आयोग को जवाब दिया और अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। आरजेडी सांसद मनोज झा ने इस पर कहा कि अब चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह स्पष्ट करे कि आखिर दो ई-पिक बने कैसे। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मतदाता पहचान पत्र जारी करने की पूरी प्रक्रिया आयोग के नियंत्रण में होती है, तो फिर यह गड़बड़ी किस स्तर पर हुई।
यह विवाद 8 अगस्त को शुरू हुआ था, जब आयोग ने तेजस्वी को नोटिस भेजा था। नोटिस में लिखा था कि उनके पास दो अलग-अलग ई-पिक होने के कारण यह चुनाव नियमों का उल्लंघन है, और एक को रद्द करना होगा। तेजस्वी ने पहले दिन से ही इस मामले को राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि वह चुनाव आयोग के नियमों का सम्मान करते हैं, लेकिन आयोग को भी पारदर्शिता बरतनी चाहिए और जनता के सामने सच्चाई रखनी चाहिए।
आरजेडी का कहना है कि यह मुद्दा केवल तेजस्वी यादव का व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे चुनावी तंत्र पर सवाल खड़ा करता है। पार्टी का आरोप है कि अगर आयोग के रिकॉर्ड में ऐसी गड़बड़ी हो सकती है, तो यह मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। इस मामले ने बिहार की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें विपक्ष इसे सरकारी तंत्र की विफलता बता रहा है और सत्तापक्ष इसे तेजस्वी की गलती के रूप में पेश कर रहा है।
