ब्रिटेन ने अपनी विवादित “पहले निर्वासन, बाद में अपील” नीति का दायरा बढ़ाते हुए भारत को भी उन देशों की सूची में शामिल कर लिया है, जिनके नागरिकों को अपराध में दोषी पाए जाने पर तुरंत देश से बाहर भेजा जाएगा और अपील का मौका केवल अपने देश वापस जाने के बाद ही मिलेगा। अब तक यह नीति केवल आठ देशों पर लागू थी, लेकिन ताज़ा फैसले के बाद इसमें 15 नए देश जोड़ दिए गए हैं, जिनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, केन्या, मलेशिया, बुल्गारिया और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। इस नीति के तहत दोषियों को ब्रिटेन से सीधे निर्वासित कर दिया जाएगा और वे केवल वीडियो लिंक या रिमोट माध्यम से अपील कर पाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन की जेलों पर बढ़ते दबाव को कम करना और न्यायिक प्रक्रिया में हो रही देरी को घटाना है। हालांकि, गंभीर अपराध जैसे आतंकवाद, हत्या या आजीवन कारावास पाने वालों को इस प्रावधान से छूट दी गई है और उनका मामला अलग से निपटाया जाएगा। ब्रिटेन सरकार का कहना है कि इस कदम से न केवल जेलों में जगह खाली होगी बल्कि टैक्सदाताओं के पैसे की बचत भी होगी। दूसरी ओर, कई मानवाधिकार संगठनों और प्रवासी समुदायों ने इस नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि यह न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और निर्दोष लोगों को भी इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। भारत में भी इस फैसले ने चिंता पैदा कर दी है क्योंकि इसका असर वहां रह रहे भारतीय समुदाय और अपराध के मामूली मामलों में फंसे लोगों पर सीधा पड़ेगा।
