“रेल मंत्री से रियल एस्टेट तक” — अदालत ने माना साजिश की गंध साफ़ है

Jitendra Kumar Sinha
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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को IRCTC होटल घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ गंभीर आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट कहा कि पेश किए गए साक्ष्य इतने पर्याप्त हैं कि इन तीनों पर मुकदमा चलना जरूरी है। सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे और उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज किया।


सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, यह मामला उस समय का है जब लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस दौरान IRCTC के रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटलों की देखरेख और संचालन का ठेका देने में भारी अनियमितताएँ की गईं। आरोपपत्र में कहा गया कि निविदा प्रक्रिया को मनमाने ढंग से बदला गया, शर्तें कमजोर की गईं और एक निजी कंपनी — सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड — को अनुचित लाभ पहुँचाया गया।


कोर्ट के अनुसार, लालू प्रसाद यादव ने एक सुनियोजित साजिश (षड्यंत्र) रची, जिसके तहत रेल मंत्रालय में अपने पद का दुरुपयोग किया गया और सरकारी प्रक्रिया को प्रभावित कर निजी लाभ के लिए सौदा तय किया गया। आरोप है कि कोचर भाइयों से कम कीमत पर जमीन खरीदने की साजिश रची गई, जिसे बाद में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को ट्रांसफर कर दिया गया।


अदालत ने पाया कि इन सभी कार्यों के पीछे एक “स्पष्ट और उद्देश्यपूर्ण आपराधिक योजना” थी — ताकि सरकारी ठेका एक विशेष निजी पक्ष को दिया जा सके और उसके बदले में यादव परिवार को संपत्ति का लाभ मिल सके।


कोर्ट ने इन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B (आपराधिक षड्यंत्र), धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति हासिल करना) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(d) और 13(2) के तहत आरोप तय किए हैं। ये धाराएँ सीधे तौर पर सत्ता के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और सार्वजनिक पद के निजी लाभ के लिए इस्तेमाल से जुड़ी हैं।


इस केस में कुल 14 आरोपी हैं जिनमें विजय कोचर और विनय कोचर (सुजाता होटल्स के निदेशक), और IRCTC के तत्कालीन अधिकारी वी.के. अस्थाना और आर.के. गोयल भी शामिल हैं। अदालत ने कहा कि सभी पर संयुक्त रूप से मुकदमा चलेगा।


तीनों प्रमुख आरोपियों — लालू, राबड़ी और तेजस्वी — ने अदालत में कहा कि वे निर्दोष हैं और यह पूरा मामला “राजनीतिक बदले की भावना” से प्रेरित है। अदालत ने हालांकि कहा कि साक्ष्यों की प्राथमिक जांच से यह स्पष्ट है कि आरोपों में पर्याप्त दम है और सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी।


इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्ष ने इसे “न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम” बताया, वहीं राजद नेताओं ने कहा कि यह “एक और राजनीतिक साजिश” है जो बिहार सरकार को अस्थिर करने के मकसद से रची गई है।


IRCTC होटल घोटाला मामला 2017 में सामने आया था जब सीबीआई ने इस पूरे प्रकरण की जांच शुरू की थी। अब जबकि अदालत ने औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए हैं, सुनवाई का अगला चरण गवाहों और दस्तावेज़ी साक्ष्यों की जांच पर केंद्रित रहेगा।

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