बेंगलुरु की हालत पर किरण मजूमदार शॉ का तंज

Jitendra Kumar Sinha
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बेंगलुरु की सड़कों और शहर में फैली गंदगी को लेकर उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ के ट्वीट ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी है। बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण शॉ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि बेंगलुरु कभी भारत का गौरव कहलाता था, लेकिन अब गड्ढों, टूटे रास्तों और कूड़े से पटे इलाकों के कारण शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आईटी हब कहलाने वाला यह शहर आखिर इतनी उपेक्षा का शिकार क्यों हो गया है। उनके इस पोस्ट को कुछ ही घंटों में हजारों लोगों ने साझा किया और नागरिकों ने उनसे सहमति जताते हुए स्थानीय प्रशासन पर जमकर गुस्सा निकाला।


किरण शॉ के इस बयान पर राज्य सरकार की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई। कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि शहर की छवि को खराब दिखाना किसी समाधान का रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार सड़कों के नवीनीकरण और सफाई व्यवस्था में सुधार कर रही है। शिवकुमार ने कहा कि आलोचना करने से पहले यह समझना चाहिए कि बेंगलुरु एक विशाल महानगर है, जहां हर दिन लाखों वाहन और टन-भर कचरा निकलता है। इसके बावजूद सरकार इसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है।


इस बयान के बाद भी सोशल मीडिया पर लोगों का समर्थन किरण शॉ के पक्ष में बढ़ता गया। कई उद्योगपतियों, नागरिक समूहों और आईटी कंपनियों से जुड़े लोगों ने कहा कि किरण शॉ ने वह कहा जो हर बेंगलुरुवासी महसूस कर रहा है। नागरिकों ने आरोप लगाया कि बीबीएमपी (बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका) भ्रष्टाचार और लापरवाही में डूबी हुई है, जिसकी वजह से सड़कों पर गड्ढे, जलभराव और कूड़े के ढेर आम बात हो गई है।


कुछ विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि बेंगलुरु जैसे शहर, जो भारत की आर्थिक और तकनीकी राजधानी कहे जाते हैं, उन्हें केवल टैक्स संग्रह का स्रोत मानना बंद करना चाहिए और नागरिक सुविधाओं पर गंभीरता से निवेश करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से बारिश के मौसम में शहर के कई हिस्सों में भारी जलभराव की समस्या बनी रहती है। कई आईटी पार्क और रिहायशी इलाकों में कर्मचारियों को नाव जैसी स्थिति में ऑफिस पहुंचना पड़ता है।


किरण शॉ ने बाद में एक और ट्वीट में स्पष्ट किया कि उनका मकसद सरकार की आलोचना करना नहीं बल्कि शहर के सुधार की दिशा में जागरूकता लाना है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु देश की पहचान है, और इसे साफ, व्यवस्थित और सुरक्षित बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।


इस पूरे विवाद ने यह सवाल फिर से खड़ा कर दिया है कि क्या भारत के सबसे बड़े टेक-सिटी में बुनियादी ढांचे की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि नागरिकों को सोशल मीडिया के जरिये अपनी आवाज उठानी पड़ रही है। जनता के गुस्से और उद्योग जगत की आलोचना के बीच अब देखना यह होगा कि क्या कर्नाटक सरकार बेंगलुरु की सड़कों और सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाती है या फिर यह मुद्दा एक और ट्विटर विवाद बनकर रह जाएगा।

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