देश का पहला और दुनिया का चौथा होगा करबिगहिया में बनने वाला “ऊर्जा संग्रहालय”

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार की राजधानी पटना के करबिगहिया क्षेत्र में देश का पहला और दुनिया का चौथा “ऊर्जा संग्रहालय” बनने जा रहा है। यह परियोजना न केवल राज्य के ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास और विकास को सहेजने का माध्यम बनेगा, बल्कि शिक्षा, शोध और पर्यटन के लिहाज से भी बिहार को एक नई पहचान दिलाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आकार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में ऊर्जा संग्रहालय परियोजना की टाइमलाइन, डिजाइन, प्लानिंग और एजेंसी चयन प्रक्रिया की विस्तृत समीक्षा की गई। बैठक में ऊर्जा विभाग के सचिव, बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार सिंह, एनबीपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक राहुल कुमार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक के दौरान अधिकारियों ने प्रस्तावित ऊर्जा संग्रहालय पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि करबिगहिया स्थित पुराने थर्मल पावर प्लांट की लगभग तीन एकड़ भूमि पर इस आधुनिक संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा। यह वही स्थान है, जहां कभी बिजली उत्पादन के लिए मशीनें गूंजती थीं और अब वहीं ऊर्जा के ज्ञान, इतिहास और नवाचार की झलक देखने को मिलेगी।

ऊर्जा संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र के विकास की पूरी यात्रा को एक ही छत के नीचे प्रस्तुत करना है। इसमें पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली उत्पादन की तकनीक, वितरण प्रणाली, ऊर्जा संरक्षण और भविष्य की ऊर्जा चुनौतियों को रोचक और आधुनिक तरीके से दर्शाया जाएगा। इंटरैक्टिव डिस्प्ले, डिजिटल मॉडल, ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियां और प्रयोगात्मक गैलरियां इस संग्रहालय को खास बनाएंगी।

यह संग्रहालय विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और आम लोगों के लिए एक जीवंत शैक्षणिक केंद्र के रूप में कार्य करेगा। स्कूल और कॉलेज के छात्र यहां आकर ऊर्जा से जुड़े विज्ञान और तकनीक को व्यावहारिक रूप में समझ सकेंगे। साथ ही, यह स्थान ऊर्जा नीति, शोध और नवाचार के लिए भी एक प्रेरक मंच बनेगा।

पर्यटन की दृष्टि से भी यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक यहां बिहार के औद्योगिक और तकनीकी विरासत को जान सकेंगे। इससे न केवल पटना के पर्यटन मानचित्र में एक नया आकर्षण जुड़ेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा, पावर होल्डिंग कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी, अभियंता और परियोजना से जुड़ी समिति के सदस्य भी मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में इस परियोजना को समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई।


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