रामायण भारत का एक पवित्र महाकाव्य है, जो भगवान श्रीराम के जीवन, उनके आदर्शों, सीता माता के त्याग, लक्ष्मण की निष्ठा और हनुमान जी की भक्ति को दर्शाता है। मूल रूप से इसे महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में रचा था, लेकिन समय के साथ इसका कई भाषाओं और परंपराओं में रूपांतरण हुआ। हर संस्करण में कथा वही रहती है, लेकिन घटनाओं, पात्रों के दृष्टिकोण और सांस्कृतिक प्रभावों में भिन्नता पाई जाती है।
मूल स्रोत: वाल्मीकि रामायण
वाल्मीकि रामायण को इस महाकाव्य का सबसे पुराना और प्रमाणिक रूप माना जाता है। इसमें 24,000 श्लोक और सात कांड (बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड) हैं। इस ग्रंथ में श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है, जो एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श राजा हैं।
भारत में रामायण के विभिन्न संस्करण
समय के साथ, विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों ने अपनी परंपराओं के अनुसार रामायण की व्याख्या की। आइए कुछ प्रमुख संस्करणों को देखें—
तुलसीदास कृत रामचरितमानस (16वीं सदी, अवधी) - यह उत्तर भारत में सबसे लोकप्रिय संस्करण है, जिसमें श्रीराम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह संस्कृत के बजाय अवधी भाषा में लिखा गया, जिससे आमजन इसे आसानी से समझ सके। इसमें भक्ति रस अधिक है और इसमें श्रीराम का चरित्र अधिक दिव्य रूप में प्रस्तुत किया गया है।
कंबन रामायण (12वीं सदी, तमिल) - तमिल भाषा में लिखा गया यह ग्रंथ दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। इसमें वाल्मीकि रामायण की तुलना में कई नई घटनाएँ जोड़ी गई हैं। हनुमान जी की भूमिका इस संस्करण में और भी महत्वपूर्ण मानी गई है।
कृतिवास रामायण (15वीं सदी, बांग्ला) - बंगाल में प्रचलित यह रामायण लोकगाथाओं से भरपूर है। इसमें कुछ ऐसी घटनाएँ मिलती हैं, जो अन्य संस्करणों में नहीं पाई जातीं। सीता माता की अग्नि परीक्षा के बाद उन्हें देवी रूप में अधिक महत्त्व दिया गया है।
अध्यात्म रामायण (संस्कृत, भक्ति प्रधान) - यह एक दार्शनिक दृष्टिकोण वाला ग्रंथ है, जिसमें श्रीराम को पूरी तरह ईश्वर का रूप माना गया है। इसमें कर्म, भक्ति और ज्ञान का समन्वय किया गया है।
जैन और बौद्ध रामायण - जैन रामायण में श्रीराम को अहिंसक बताया गया है और रावण का अंत युद्ध के बजाय त्याग के माध्यम से दिखाया गया है। बौद्ध दशरथ जातक में राम को एक महान बोधिसत्व के रूप में दर्शाया गया है।
सबसे प्रामाणिक रामायण कौन-सी है?
अगर ऐतिहासिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो वाल्मीकि रामायण को सबसे प्रामाणिक और मूल रामायण माना जाता है। यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पहला ग्रंथ है, जिसमें श्रीराम का चरित्र एक आदर्श पुरुष के रूप में उभरकर आता है। हालाँकि, तुलसीदास कृत रामचरितमानस भक्ति आंदोलन के दौरान लिखी गई, जो आम जनता के लिए अधिक सुलभ और लोकप्रिय हुई।
इसलिए, कौन-सी रामायण सबसे सटीक है, यह व्यक्ति की आस्था और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। जो भक्ति और प्रेम से जुड़ा है, वह तुलसीदास की रामायण को प्राथमिकता देगा, और जो मूल कथा को जानना चाहता है, उसके लिए वाल्मीकि रामायण सर्वोत्तम मानी जाती है।