रूद्राक्ष धारण करने वालों को अपने नित्य जीवन में, अपने आचरण और अपने कर्मों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। उन्हें सदाचरण, सत्कर्म अपनाना चाहिए, भगवान शिव के पूजन में श्रद्धापूर्वक मन लगाना चाहिए, दुष्कर्मों को यत्नपूर्वक जीवन से निकाने का प्रयत्न करना चाहिए, तब ही रूद्राक्ष धारण करने का लाभ मिलेगा।
पांच मुखी रुद्राक्ष को पंचमुख ब्रह्मा स्वरूप माना गया है। इसके पांच मुखों को पंचानन (भगवान शिव का पंचानन रूप) स्वरूप माना गया है। पांच मुखी रुद्राक्ष की अनंत महिमा गिनाई गई है, जिसमें इसे पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का साक्षात स्वरूप बताया गया है।
इसी कारण पांच मुखी रुद्राक्ष को बहुत महिमामय माना गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि रुद्राक्ष वृक्षों में बहुतायत में पांच मुखी रुद्राक्ष ही उत्पन्न होते हैं। इसी कारण यह सरलता से प्राप्त भी हो जाता है। पांच मुखी रुद्राक्ष माला चाहे छोटे आकार के दानों की हो या बड़े दानों की, लेकिन इसमें सर्वदा पांच मुखी रुद्राक्ष दानों को ही पिरोया जाता है। पांच मुखी रुद्राक्ष एक कालग्नि रुद्र का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से सब प्रकार के पाप मिट जाते हैं। इसलिए इसे अत्यंत प्रभावशाली तथा महिमामय माना जाता है।
पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पांच देव शक्ति (शिव, विष्णु, गणेश, सूर्य और दुर्गा) की कृपा बनी रहती है।