कर्नाटक सरकार ने आर्थिक तंगी के बीच, मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की अध्यक्षता वाली एक समिति ने, विधायकों के वेतन में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
उच्च स्तरीय बैठक में इस प्रस्ताव का कोई विरोध नहीं हुआ, जबकि बैठक में विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक, उप मुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल, विधानसभा के अध्यक्ष यू.टी. खादर और विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी उपस्थिति थे। सूत्रों के अनुसार, संभावना है कि वेतन वृद्धि के लिए कर्नाटक सरकार चालू बजट सत्र में ही विधेयक पेश करेगी। मंजूरी मिलते ही जनप्रतिनिधियों के वेतन में वृद्धि हो जाएगी।
अभी यह ज्ञात नहीं हुआ है कि विधायकों के वेतन में कितनी वृद्धि हुई है। जबकि पिछली बार तीन वर्ष पहले विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों, मंत्रियों, दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों, विपक्ष के नेताओं आदि के वेतन-भत्तों में 50 से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई थी। 2022 में सत्ता में आई भाजपा सरकार के समय भी विपक्षी कांग्रेस या जद-एस की ओर से वेतन वृद्धि को लेकर कोई विरोध नहीं हुआ था।
वर्तमान में एक विधायक का मासिक वेतन 40,000 रुपए, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 60,000 रुपए, यात्रा भत्ता 60,000 रुपए, निजी सहायक वेतन 20,000 रुपए, टेलीफोन खर्च 20,000 रुपए, डाक खर्च 5,000 रुपए सहित कुल मिलाकर 2,05,000 रुपए है। विधायकों के साथ ही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के वेतन में भी वृद्धि की गई थी।