रूद्राक्ष धारण करने वाले को, किसी भी तरह की गम्भीर, शारीरिक एवं मानसिक बीमारियाँ नहीं होती है, बल्कि रूद्राक्षधारी असाध्य गम्भीर रोग से भी, मुक्ति पा लेता है। इसलिए रूद्राक्ष धारण करने वालों को शिव स्वरूप की प्राप्ति होता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार आठ मुखी रुद्राक्ष को अष्टमूर्ति (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, सूर्य, चन्द्र और यजमान) स्वरूप साक्षात शिव शरीर माना गया है। इसे अष्ट प्रकृति (भूमि, आकाश, जल, अग्नि, वायु, मन, बुद्धि, अहंकार) का भी प्रतीक माना गया है। आठ मुखी रुद्राक्ष को विजयश्री प्रदान करने वाला माना गया है।
ऐसी मान्यता है कि आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला आठों दिशाओं में विजय प्राप्त करता है। वह अष्ट सिद्धियों का ज्ञाता बन जाता है। इसी कारण के अनुरूप कुछ विद्वानों की ऐसी मान्यता भी है कि आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी सफलता मिलती है।
आठ मुखी रुद्राक्ष को विनायक देव का स्वरूप भी माना गया है। इसे धारण करने से अन्न, धन तथा स्वर्ण की वृद्धि होती है। इसको धारण करने से समस्त विघ्न-बाधाएँ मिटती हैं तथा धारक को परमपद की प्राप्ति होती है।
जिस प्रकार सात मुखों वाले रुद्राक्ष की देवियाँ सप्त मातृकाएँ हैं, उसी प्रकार आठ मुखी रुद्राक्ष आठ वसुओं और गंगा को प्रसन्न करने वाला है। इसको धारण करने से सभी देवताओं की कृपा दृष्टि बनी रहती है। सभी पापों का नाश होता है।
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