सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 72 याचिकाओं पर सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और के. वी. विश्वनाथन भी शामिल हैं, दोपहर 2 बजे से इन याचिकाओं पर विचार करेगी।
याचिकाकर्ताओं में प्रमुख नाम
इन याचिकाओं में कई प्रमुख राजनेता और संगठन शामिल हैं:
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AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी
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AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी
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SP सांसद जियाउर्रहमान बर्क
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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा
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कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
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समस्त केरल जमीयतुल उलेमा
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RJD सांसद मनोज झा
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इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
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JDU नेता परवेज़ सिद्दीकी
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सैयद कल्बे जवाद नकवी
इसके अतिरिक्त, कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सीपीआई जैसी पार्टियों के अन्य नेताओं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी याचिकाएं दायर की हैं।
याचिकाओं के मुख्य बिंदु
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि वक्फ एक धार्मिक संस्था है और उसके कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप अनुचित है। वे इस अधिनियम को मुसलमानों के साथ भेदभावपूर्ण मानते हैं और इसे संविधान के अनुच्छेद 13, 14, 25 और 26 का उल्लंघन बताते हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देते हैं।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए लाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि यह कानून धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि इन चैरिटेबल संपत्तियों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करता है।
इस महत्वपूर्ण सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय वक्फ अधिनियम की वैधता और इसके प्रभावों पर महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करेगा।