16 अप्रैल 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की और उन्हें स्थगित करने का प्रस्ताव रखा।
प्रमुख बिंदु:
'यूज़र द्वारा वक्फ' प्रावधान का हटाया जाना: अधिनियम में 'यूज़र द्वारा वक्फ' की अवधारणा को हटाने का प्रस्ताव है, जिससे कई पुराने धार्मिक स्थलों की वैधता पर प्रश्न उठ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि कई मस्जिदें 14वीं और 15वीं शताब्दी में बनी थीं, जिनके लिए पंजीकृत दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं।
गैर-मुस्लिम सदस्यों की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति: अधिनियम में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वे हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति देंगे।
वक्फ संपत्तियों की डिनोटिफिकेशन: अधिनियम के तहत, यदि जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी भूमि घोषित करता है, तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, जब तक कि न्यायालय उसका निर्णय न करे। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि कलेक्टर की जांच जारी रह सकती है, लेकिन उनके निर्णय का प्रभाव स्थगित किया जा सकता है।
आगे की कार्यवाही:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल 2025 को निर्धारित की है।