बिहार सरकार ने “बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग” का पुनर्गठन किया है। पुनर्गठन में अब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अतिरिक्त आठ नए सदस्यों की नियुक्ति की गई है। यह निर्णय न केवल अल्पसंख्यकों की आवाज को सशक्त बनाने की दिशा में है, बल्कि क्षेत्रीय विविधता को भी समाहित करता है।
नए सदस्यों में राज्य के विभिन्न जिलों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है, जिससे यह आयोग अधिक व्यापक दृष्टिकोण से कार्य कर सकेगा। नियुक्त सदस्यों मुकेश कुमार जैन (बेगूसराय), अफरोजा खातून (नवादा), अशरफ अली अंसारी (सीवान), शमशाद आलम उर्फ शमशाद सांई (जहानाबाद), तुफैल अहमद खान 'कादरी' (सारण), शिशिर कुमार दास (किशनगंज), राजेश कुमार जैन (मुंगेर) और अजफर शमसी शामिल हैं। इनमें मुस्लिम, जैन और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व है, जो आयोग को एक संतुलित और बहु-आयामी दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
इन सभी सदस्यों का कार्यकाल प्रभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्षों तक रहेगा। इस दौरान उन्हें राज्य में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा, उनकी समस्याओं की सुनवाई, और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु सुझाव देने जैसे दायित्व निभाने होंगे। आयोग राज्य सरकार को नीतिगत स्तर पर सलाह देने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
अल्पसंख्यक आयोग एक संवैधानिक संस्था न सही, लेकिन यह राज्य के अंदर अल्पसंख्यकों की आवाज को सरकार तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम है। यह सामाजिक सौहार्द, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे किसी भी तरह के भेदभाव की जांच करता है और सरकार को आवश्यक कार्रवाई हेतु संस्तुति देता है।
बिहार में इस पुनर्गठन के साथ सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों और समस्याओं को लेकर वह गंभीर है। आयोग में विविध समुदायों और क्षेत्रों से प्रतिनिधियों को शामिल कर एक संतुलित और न्यायसंगत समाज की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। अब देखना यह होगा कि नए सदस्य अपनी भूमिका कितनी सक्रियता और निष्पक्षता से निभाते हैं।