पटना न केवल बिहार की राजधानी है, बल्कि इसे शिक्षा का गढ़ भी माना जाता है। हर वर्ष हजारों छात्र यहां विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं। ऐसे में कोचिंग संस्थानों की अधिकता है। लेकिन लंबे समय से इन संस्थानों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठता रहा हैं कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी, छात्रों की जानकारी का अभाव और बिना वैध प्रमाणपत्रों के संचालन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। अब जिला प्रशासन ने इस व्यवस्था में सख्ती लाने का प्रयास किया है।
पटना जिला प्रशासन ने एक ऑनलाइन कोचिंग निबंधन पोर्टल की शुरुआत की है, जहां कोचिंग संस्थानों को अपने दस्तावेज जमा कर निबंधन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इस व्यवस्था के तहत संस्थानों को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र, संचालक एवं संस्थान का ID प्रमाण, स्थान का सत्यापन और प्रोफाइल विवरण तथा स्टाफ की जानकारी संबंधित दस्तावेज देने होंगे। इस पहल का उद्देश्य शिक्षा के व्यवसाय को सुरक्षित, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है।
जिला शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 520 कोचिंग संस्थानों ने अपने दस्तावेज ऑनलाइन जमा कर निबंधन प्रक्रिया पूरी कर ली है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि पूर्व में ये संस्थान बिना फायर सेफ्टी और अन्य आवश्यक प्रमाणपत्रों के संचालन कर रहे थे। इस बदलाव से ये स्पष्ट संकेत मिला है कि जब प्रशासन सख्ती से नियम लागू करता है, तो संस्थान भी जवाबदेह बनते हैं। अब ये संस्थान सुरक्षा मानकों और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप संचालित हो रहे हैं।
अभी तक 520 कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, लेकिन पटना जिले में अब भी कई कोचिंग संस्थान ऐसे हैं जिन्होंने न तो रजिस्ट्रेशन कराया है और न ही दस्तावेज़ जमा किए हैं। इन संस्थानों की कार्यप्रणाली अब भी पूर्ववत् अव्यवस्थित है, जिससे छात्रों की सुरक्षा और पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।
जिला शिक्षा कार्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन कोचिंग संस्थानों ने अब तक निबंधन नहीं कराया है, उन्हें जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा। अगर फिर भी आदेश की अवहेलना होता है, तो ऐसे संस्थानों पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी, संस्थान को बंद कर दिया जाएगा, फायर ब्रिगेड और स्थानीय पुलिस की मदद से निरीक्षण किया जाएगा और छात्रों/अभिभावकों को ऐसे संस्थानों से सावधान रहने की सलाह दी जाएगी।
पटना जिला में कोचिंग संस्थानों का निबंधन प्रक्रिया एक ऐतिहासिक और अनुकरणीय पहल है। इससे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि छात्रों और अभिभावकों को भी भरोसा मिलेगा कि वे एक सुरक्षित और प्रमाणिक वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।