जमाखोरों की अब खैर नहीं - गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू,

Jitendra Kumar Sinha
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देश में बढ़ती महंगाई और खाद्य वस्तुओं की कालाबाजारी पर लगाम कसने के लिए केन्द्र सरकार ने सख्त निर्णय लेते हुए गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू कर दिया है। यह नियम 27 मई 2025 से प्रभावी हो चुका है और 31 मार्च 2026 तक पूरे देश में लागू रहेगा। 

केन्द्र सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अलग-अलग श्रेणियों के भंडारणकर्ताओं पर अलग-अलग स्टॉक लिमिट तय किया गया है। थोक विक्रेता (Wholesalers) अधिकतम 3000 टन गेहूं स्टोर कर सकता हैं। खुदरा विक्रेता (Retailers) प्रत्येक दुकान पर 10 टन तक का स्टॉक ही रख सकता है। बड़े रिटेल चेन (Big Retail Chains) हर रिटेल आउटलेट पर 10 टन से अधिक स्टॉक रखने की अनुमति नहीं होगी। इस सीमित स्टॉक नीति का उद्देश्य है कि अनावश्यक भंडारण और कृत्रिम कमी की स्थिति उत्पन्न न हो।

नए नियम के तहत, सभी भंडारणकर्ताओं को अपने स्टॉक की साप्ताहिक रिपोर्ट देनी होगी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने एक विशेष पोर्टल तैयार किया है, जिस पर हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति अपडेट करनी अनिवार्य होगी। इस पारदर्शी प्रक्रिया से सरकार को वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सकेगा और कार्रवाई में तेजी लाया जा सकेगा।

अगर किसी व्यापारी या संस्था के पास निर्धारित सीमा से अधिक गेहूं का स्टॉक पाया जाता है, तो उन्हें 15 दिनों के अंदर अपने स्टॉक को घटाकर निर्धारित सीमा के अनुरूप लाना होगा। यदि तय समय सीमा में कार्रवाई नहीं किया जाता है तो कानूनी कार्यवाही किया जाएगा, जिसमें जुर्माना और लाइसेंस निरस्तीकरण तक की कार्रवाई संभव है।

इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि सरकार अब जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है। पिछली कुछ तिमाहियों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है, जिसे रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। गेहूं जैसी आवश्यक वस्तु के दाम कृत्रिम रूप से न बढ़ सकें, इसके लिए यह कदम आवश्यक और समयानुकूल है।

स्टॉक लिमिट लागू होने से न केवल बाजार में गेहूं की उपलब्धता बनी रहेगी, बल्कि खुदरा मूल्य में स्थिरता भी आएगी। उपभोक्ताओं को राहत मिलेगा और बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगा। साथ ही, यह नियम ईमानदार व्यापारियों के हितों की भी रक्षा करेगा।

गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू कर सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि जमाखोरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह नीति न केवल बाजार को संतुलित बनाएगा बल्कि आम जनता के लिए राहतकारी भी साबित होगा। खाद्य सुरक्षा की दिशा में यह एक सार्थक और निर्णायक पहल है, जिसका असर आने वाले महीनों में देखने को मिलेगा।



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