रेडिको खेतान, जो भारत की प्रमुख शराब निर्माता कंपनियों में गिना जाता है, हाल ही में अपने एक नया ब्रांड "त्रिकाल" को लेकर चर्चा में है। कंपनी ने इस नाम को भारतीय संस्कृति और धरोहर का प्रतीक मानते हुए लॉन्च किया था, लेकिन इसके विरोध में स्वर उठे, जिनमें यह तर्क प्रमुख था कि "त्रिकाल" एक धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से पवित्र शब्द है। इसके मद्देनजर कंपनी ने इस नाम को वापस लेने का निर्णय लिया है।
"त्रिकाल" एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- अतीत, वर्तमान और भविष्य। यह नाम भारतीय दर्शन और परंपराओं में समय की निरंतरता और ज्ञान के तीन चरणों का प्रतिनिधित्व करता है। रेडिको खेतान ने जब इस नाम को चुना, तो उसका उद्देश्य था भारत की कारीगरी, सांस्कृतिक विरासत और शाश्वत मूल्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करना। कंपनी ने इसे सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा की अभिव्यक्ति बताया था।
"त्रिकाल" नाम के चयन को लेकर कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों ने विरोध जताया था। उनका मानना था कि एक शराब ब्रांड के साथ "त्रिकाल" जैसे पवित्र शब्द का जुड़ना उचित नहीं है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गरमाया था और कई लोगों ने कंपनी की नीयत पर प्रश्न उठाया था। रेडिको खेतान ने इस जनविरोध को हल्के में नहीं लिया है और कंपनी के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय केवल व्यापारिक रणनीति नहीं, बल्कि जनभावनाओं के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है।
रेडिको खेतान ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि "हम भारत की मिट्टी और मूल्यों से गहराई से जुड़े हुए हैं। हमारी ब्रांडिंग का उद्देश्य देश की समृद्ध संस्कृति और कारीगरी को सम्मान देना था। लेकिन हम अपने देशवासियों की भावनाओं का भी उतना ही सम्मान करते हैं। इसी भावना से हमने विचार-विमर्श के बाद ‘त्रिकाल’ नाम वापस लेने का फैसला किया है।" इस बयान के साथ कंपनी ने यह भी दोहराया है कि वह भविष्य में ऐसे किसी भी कदम से बचेंगे जो किसी वर्ग की भावनाओं को आहत करे।
रेडिको खेतान का यह निर्णय भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। जब कई कंपनियाँ केवल मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करती हैं, तब रेडिको खेतान ने जनसंवेदनशीलता और सांस्कृतिक मर्यादा को प्राथमिकता दी। यह एक ऐसे दौर में महत्वपूर्ण है, जहाँ ब्रांडिंग और संस्कृति के टकराव आम होता जा रहा हैं।
"त्रिकाल" नाम को लेकर उपजा विवाद इस बात की याद दिलाता है कि भारत जैसे विविधता भरे देश में ब्रांड निर्माण करते समय धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक पहलुओं पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। रेडिको खेतान का यह कदम न केवल उनकी समझदारी दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि ब्रांड की प्रतिष्ठा केवल मुनाफे से नहीं, बल्कि जनभावनाओं के सम्मान से बनता है।