डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता का दावा किया, भारत ने किया खंडन

Jitendra Kumar Sinha
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से व्यापार वार्ताओं के माध्यम से। हालांकि, भारत सरकार ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है, यह स्पष्ट करते हुए कि युद्धविराम का निर्णय पूरी तरह से द्विपक्षीय था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।


ट्रंप ने व्हाइट हाउस में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ बैठक के दौरान कहा, "हमने पाकिस्तान और भारत के साथ जो किया, वह व्यापार के माध्यम से हल किया।" उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से बात की और उन्हें व्यापार के अवसरों की पेशकश की, जिससे संघर्ष को रोकने में मदद मिली।


हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने स्पष्ट किया कि 7 मई से 10 मई के बीच, जब ऑपरेशन सिंदूर चल रहा था, भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच सैन्य स्थिति पर बातचीत हुई थी, लेकिन व्यापार या टैरिफ से संबंधित कोई चर्चा नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, "युद्धविराम का निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे सैन्य वार्ताओं के माध्यम से हुआ, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।"


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, "प्रधानमंत्री को तारीफ चाहिए, टैरिफ पर बात नहीं।" उन्होंने ट्रंप के दावों पर मोदी की प्रतिक्रिया की कमी को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति की पारदर्शिता के लिए चिंता का विषय बताया।


पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी ट्रंप के दावों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "यह डोनाल्ड ट्रंप की आदत है कि वह हर चीज का श्रेय लेना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह दावा व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उनकी सामान्य प्रवृत्ति का हिस्सा है।


भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को युद्धविराम की घोषणा हुई थी, जो कि दोनों देशों के बीच सीधे सैन्य वार्ताओं का परिणाम था। इससे पहले, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने सीमा पर गोलाबारी और ड्रोन हमलों का सहारा लिया था।


ट्रंप के दावों के बावजूद, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि युद्धविराम का निर्णय पूरी तरह से द्विपक्षीय था और इसमें अमेरिका या किसी अन्य देश की कोई भूमिका नहीं थी। भारत ने यह भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित कोई भी मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाएगा, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।


इस विवाद के बीच, ट्रंप के दावों को उनकी राजनीतिक छवि को सुधारने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब उनकी मध्यस्थता की अन्य कोशिशें, जैसे कि उत्तर कोरिया और मध्य पूर्व में, अपेक्षित परिणाम नहीं ला सकीं।


भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वह अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा, और सभी मुद्दों को द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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