भारत ने अपने पहले स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 मई 2025 को इस परियोजना के कार्यान्वयन मॉडल को स्वीकृति दी। यह निर्णय भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और 'मेक इन इंडिया' के तहत आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
AMCA को DRDO की वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) द्वारा विकसित किया जाएगा। यह पांचवीं पीढ़ी का ट्विन-इंजन स्टेल्थ लड़ाकू विमान होगा, जो अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा। इसमें रडार से बचाव के लिए स्टेल्थ डिजाइन, सुपरक्रूज़ क्षमता, उन्नत सेंसर और एवियोनिक्स, तथा इंटरनल वेपन बे जैसी खूबियां होंगी जो इसे भविष्य का अत्यंत घातक लड़ाकू विमान बनाएंगी।
इस परियोजना में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि इस पहल के माध्यम से घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूती दी जाए और विदेशी निर्भरता को कम किया जाए। इससे देश की रणनीतिक और तकनीकी स्वतंत्रता में भी इजाफा होगा।
AMCA के विकास से भारत उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट्स हैं, जैसे अमेरिका (F-35), रूस (Su-57), और चीन (J-20)। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक रक्षा परिदृश्य में एक सशक्त शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक मानी जा रही है।
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब चीन पाकिस्तान को स्टेल्थ फाइटर जेट्स की आपूर्ति कर रहा है, भारत की यह पहल सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक हो जाती है। यह भारत की वायुसेना की मारक क्षमता को न केवल बढ़ाएगी, बल्कि दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होगी।
इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब ₹15,000 करोड़ रुपये है और इसके तहत उत्पादन कार्य 2035 के आसपास शुरू होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह परियोजना समय पर पूरी होती है तो यह भारतीय रक्षा क्षेत्र की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है।
सरकार ने इस बार निजी कंपनियों को भी इस परियोजना में भागीदारी का अवसर दिया है, जिससे तकनीकी नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इससे घरेलू कंपनियों को वैश्विक मंच पर उभरने का भी अवसर मिलेगा।
अंततः यह कहा जा सकता है कि AMCA परियोजना भारत की सामरिक आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम है। यह केवल एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारत के वैज्ञानिक, तकनीकी और औद्योगिक कौशल का प्रतीक होगा। आने वाले वर्षों में यह विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ बन सकता है और भारत को एक विश्वस्तरीय सैन्य ताकत के रूप में स्थापित कर सकता है।