अचानक मौसम में बदलाव: हालिया उदाहरण
उत्तर भारत जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अप्रैल के महीने में भारी ओलावृष्टि और तेज़ हवाओं ने फसलों को बर्बाद कर दिया। मध्य भारत में गर्मी के सीज़न में अचानक तेज़ बारिश और आंधी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।
दक्षिण भारत जैसे तमिलनाडु और केरल में सामान्य से अधिक गर्मी के बाद अचानक बादल छा जाना और गरज के साथ बारिश होना चिंता का कारण बना। पूर्वोत्तर भारत में असामान्य बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
इसके पीछे के मुख्य कारण
किसानों और आम लोगों पर प्रभाव
फसलों की बर्बादी से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। खासकर गेहूं और सब्जियों की खेती पर असर पड़ा है। बिजली, पानी और यातायात सेवाओं पर भी असर पड़ रहा है। स्वास्थ्य समस्याएं जैसे वायरल बुखार, सर्दी-खांसी और एलर्जी भी बढ़ रही हैं। यात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा योजना बनाना मुश्किल हो गया है।
सरकार और आम जनता को क्या करना चाहिए?
भारत में अचानक मौसम परिवर्तन सिर्फ मौसम की अजीब हरकत नहीं है, यह हमारे पर्यावरणीय असंतुलन और मानवीय गतिविधियों का परिणाम है। यदि हम आज नहीं जागे, तो कल का मौसम सिर्फ अप्रत्याशित ही नहीं, बल्कि विनाशकारी भी हो सकता है। समय आ गया है कि हम अपनी धरती से संवाद करें, न कि केवल उसका उपयोग।