आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने पूरी तत्परता से तैयारी शुरू कर दी है। इस कड़ी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की प्रथम स्तरीय जांच 2 मई से शुरू की गई है, जिसे 30 जून तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस महत्वपूर्ण कार्य की निगरानी जिला निर्वाचन पदाधिकारी कर रहे हैं, जबकि तकनीकी जांच का जिम्मा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद के अनुभवी अभियंताओं को सौंपा गया है।
इस जांच कार्य के लिए कुल 189 अभियंताओं की प्रतिनियुक्ति की गई है। इन अभियंताओं की टीमों का गठन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार के कार्यालय द्वारा रैंडमाइजेशन पद्धति से किया गया है, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
इस बार के चुनाव में, राज्य भर में उपयोग की जाने वाली मशीनों की संख्या काफी अधिक है। इनमें शामिल हैं, 1,74,594 बैलेट यूनिट्स (BU), 1,26,833 कंट्रोल यूनिट्स (CU) और 1,36,321 वीवीपैट्स (VVPAT)। इन सभी मशीनों की तकनीकी दक्षता और कार्यक्षमता की विस्तारपूर्वक जांच की जा रही है, ताकि मतदान के समय कोई तकनीकी गड़बड़ी न हो।
प्रथम स्तरीय जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी जांच के दौरान आमंत्रित किया गया है। उनकी उपस्थिति से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी दल जांच प्रक्रिया से संतुष्ट रहें।
अब तक किशनगंज, सहरसा, पूर्णिया, बांका, दरभंगा, नालंदा, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण, सारण, पटना, सीतामढ़ी, अररिया, शेखपुरा और खगड़िया सहित 14 जिलों में जांच कार्य संपन्न हो चुका है। इसके अतिरिक्त गया और सीवान में भी जांच पूरी कर ली गई है।
इन जिलों में पांच फीसदी मशीनों पर उच्च स्तरीय मॉक पोल कराया जा रहा है, जो यह साबित करेगा कि मशीनें पूरी तरह से भरोसेमंद हैं। वहीं अन्य 11 जिलों में यह प्रक्रिया अभी जारी है और 30 जून तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
बिहार विधानसभा चुनावों को निष्पक्ष, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने की दिशा में इवीएम की प्रथम स्तरीय जांच एक अहम कदम है। निर्वाचन आयोग की गंभीरता और तकनीकी विशेषज्ञों की मुस्तैदी से यह स्पष्ट होता है कि चुनाव आयोग जनता के विश्वास पर खरा उतरने को पूर्णतः प्रतिबद्ध है।