भारत की 7,516 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा, जहां रोजाना हजारों व्यवसायिक जहाजों की आवाजाही होती रहती है, अब देश एक नई सुरक्षा कवच की ओर बढ़ने जा रही है। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए समुद्र में बारूदी सुरंगें ढूंढ़ने और उसे नष्ट करने वाले 12 आधुनिक माइनस्वीपर जहाजों के निर्माण करने पर विचार कर रही है। सूत्रों का माने तो इस परियोजना पर लगभग 44,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसका निर्माण भारत में ही होंगे।
माइनस्वीपर एक ऐसा जहाज हैं जो समुद्र में, दुश्मनों द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंगों (sea mines) का पता लगायेगा और उसे नष्ट कर देगा। यह जहाज़ युद्ध के समय भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं क्योंकि यह नौसेना के युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों को सुरक्षित रास्ता भी बतायेगा। माइनस्वीपर समुद्री मार्गों को साफ करता है, युद्ध के समय नौसेना के ऑपरेशन को सुरक्षित बनाता है, व्यापारिक बंदरगाहों की सुरक्षा करता है और बारूदी सुरंगों को नष्ट करता है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत के पास एक भी माइनस्वीपर जहाज नहीं है। पुराने जहाजों को वर्षों पहले रिटायर कर दिया गया था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीन और पाकिस्तान की समुद्री गतिविधियों में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए, देश के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह समुद्री सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण पक्ष को मज़बूत करे। इसका मुख्य कारण है हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी। प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा- जैसे ऑयल रिग्स और अंडरसी पाइपलाइंस। भारत के 13 बड़े और 200 से अधिक छोटे बंदरगाहों से व्यापारिक गतिविधियां होती हैं, समुद्र के रास्ते आतंकी घुसपैठ की आशंका हमेशा बनी रहती है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय ने ₹44,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (Defence Acquisition Council - DAC) के सामने रखा जाएगा।
माइनस्वीपर आधुनिक तकनीक से लैस जहाज होते हैं जो समुद्र में बारूदी सुरंगों की पहचान कर उन्हें निष्क्रिय या नष्ट कर देता हैं। जहाज से स्टील केबल समुद्र में छोड़ी जाती है। जब यह केबल बारूदी सुरंग से टकराती है, तो वह सतह पर आ जाती है और इसके बाद जहाज से उसे तोपों से नष्ट कर दिया जाता है। आधुनिक माइनस्वीपरों में एक इलेक्ट्रिकल सिस्टम होता है जो चुंबकीय बारूदी सुरंगों के प्रभाव को कम करता है ताकि जहाज़ खुद सुरंग से प्रभावित न हो।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, समुद्री मार्गों में हजारों बारूदी सुरंगें बिछाई गई थी। युद्ध के बाद इन सुरंगों को हटाने के लिए सैकड़ो माइनस्वीपर्स की सहायता ली गई थी। इन जहाजो की बदौलत आज दुनिया के अधिकांश समुद्री रास्ते सुरक्षित हैं। विश्व में माइनस्वीपर का इस्तेमाल करने वालो में अमेरिका का 11 माइनस्वीपर नौकाएं सक्रिय हैं, रूस का 50 से अधिक माइनस्वीपर, चीन समुद्र में खतरनाक बारूदी जाल बिछाने की रणनीति में महारत और जापान तथा दक्षिण कोरिया को स्वदेशी तकनीक से बने आधुनिक जहाज है।
भारतीय नौसेना एक शक्तिशाली समुद्री बल है, लेकिन माइनस्वीपर की कमी उसकी एक प्रमुख कमजोरी रही है। अब इसे दूर करने के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित हो सकता है।
माइनस्वीपर जहाज़ राष्ट्रीय सुरक्षा के चार प्रमुख क्षेत्रों में सहायक होते हैं। सैन्य सुरक्षा- युद्धकाल में नौसेना के जहाजों के लिए सुरक्षित मार्ग, व्यापारिक सुरक्षा- व्यापारिक जहाजों और तेल टैंकरों को सुरक्षित रखना, कूटनीतिक बढ़त- समुद्री सहयोग के जरिए पड़ोसी देशों में भारत की भूमिका मजबूत करना और आर्थिक सुरक्षा- बंदरगाहों और समुद्री इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षात्मक कवच।
चीन द्वारा "String of Pearls" रणनीति और पाकिस्तान की नौसेना की बढ़ती क्षमताओं के बीच, भारत को समुद्र में सुरक्षा का मजबूत घेरा खड़ा करना ही होगा। क्योंकि बारूदी खतरों से निपटने की रणनीति के तहत चीन की संभावित घेराबंदी के प्रयासों को जवाब देना, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट और कराची हार्बर से निकलने वाली गतिविधियों की निगरानी करना और मलक्का जलसंधि जैसे संवेदनशील मार्गों की सुरक्षा करना शामिल है।
यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ नीति को मजबूती देने वाली है। स्वदेशी तकनीक से बने ये माइनस्वीपर भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनायेगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, नौसेना के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।
रक्षा मंत्रालय की योजना है कि पहले चरण में 12 जहाज बनेंगे, भविष्य में इस संख्या को 24 माइनस्वीपर तक ले जाया जाएगा, कुछ जहाजों को ड्रोन टेक्नोलॉजी से लैस किया जा सकता है और जल के नीचे कार्य करने वाली AUVs (Autonomous Underwater Vehicles) का एकीकरण शामिल है।
भारत द्वारा समुद्री बारूदी सुरंगों को नष्ट करने वाले माइनस्वीपर जहाजों के निर्माण का निर्णय देश की सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल भारतीय नौसेना को ताकतवर बनाएगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की पकड़ को भी मजबूत करेगा। साथ ही, यह कदम आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और मजबूत कदम है।