धरती पर कई ऐसे स्थल हैं जो देखने में इतने रहस्यमयी और परग्रही लगते हैं कि उन पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही एक स्थल है लीबिया के सहारा रेगिस्तान में स्थित 'वान टिकोफी' घाटी, जिसे 'ग्रहों की घाटी' कहा जाता है। यह घाटी अपने अजीबो-गरीब चट्टानों के कारण दुनियाभर के वैज्ञानिकों, भूगर्भशास्त्रियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
लीबिया की यह घाटी लगभग 30 किलोमीटर लंबी है और इसमें अनगिनत गोल, चिकनी, चकत्तेदार और स्तंभ जैसी चट्टानें फैली हुई हैं। पहली नज़र में यह स्थल किसी दूसरे ग्रह की सतह जैसा प्रतीत होता है। सूरज की रोशनी में ये चट्टानें रंग बदलती हैं, जिससे यह और भी रहस्यमय प्रतीत होती है।
स्थानीय तुआरेग जनजाति, जो खुद को 'नीले लोग' (Blue People) कहते हैं, इस घाटी को 'कवाकिब' यानी 'ग्रह' कहती है। तुआरेग समुदाय की पारंपरिक पोशाक और संस्कृति आज भी सहारा के इस दुर्गम इलाके में जीवंत है। उनके अनुसार, ये चट्टानें प्राचीन काल से इस धरती का हिस्सा नहीं हैं बल्कि आकाश से गिरी कोई दैवीय संरचना हैं।
वैज्ञानिकों ने इन चट्टानों का बारीकी से अध्ययन किया है और उन्हें ट्रोवेंट्स (Trovants) की श्रेणी में रखा है। ट्रोवेंट्स वो भूगर्भीय संरचनाएं होती हैं जो रेत, सिलिका, मिट्टी और कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं। यह धीरे- धीरे लाखों वर्षों में बनती हैं। कभी-कभी नमी के संपर्क में आकार, अपना आकार भी बदल सकती हैं। ट्रोवेंट्स आमतौर पर रोमानिया में पाया जाता हैं, लेकिन लीबिया के इस हिस्से में इनका मिलना वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही रोमांचक खोज रहा है।
ग्रहों की घाटी को दुनिया के सामने लाने का श्रेय कुछ यूरोपीय यात्रियों और भूगर्भशास्त्रियों को जाता है, जिन्होंने सहारा के इस दुर्गम इलाके में भ्रमण किया था। आज भी यह स्थल पूरी तरह से पर्यटन के लिए खुला नहीं है, जिससे यह और रहस्यमय बना रहता है।
लीबिया की ग्रहों की घाटी यह सिद्ध करता है कि पृथ्वी पर ही कई ऐसे स्थल मौजूद हैं जो अंतरिक्ष के रहस्यों को याद दिलाता हैं। चाहे वह तुआरेग जनजाति की कहानियाँ हों या वैज्ञानिकों की रिसर्च, यह घाटी आज भी अपने भीतर एक गूढ़ आकर्षण समेटे हुए है।