नेपाल ने भारत के रास्ते बांग्लादेश को भेजी ऊर्जा

Jitendra Kumar Sinha
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दक्षिण एशिया में सहयोग और संपर्क का नया अध्याय हुआ शुरू। नेपाल ने भारत की मदद से बांग्लादेश को बिजली निर्यात करना शुरू कर दिया है। यह ऐतिहासिक कदम त्रिपक्षीय सहयोग का प्रमाण है, जिसमें नेपाल, भारत और बांग्लादेश की सहभागिता से एक नई ऊर्जा कूटनीति आकार ले रही है।

यह बिजली निर्यात 3 अक्टूबर 2024 को हुए नेपाल, भारत और बांग्लादेश के त्रिपक्षीय समझौते के तहत शुरू किया गया है। इस समझौते के तहत, नेपाल ने भारत के माध्यम से बांग्लादेश को बिजली भेजने की अनुमति प्राप्त की। इसके लिए भारत की महत्वपूर्ण 400 केवी की मुजफ्फरपुर-बहरामपुर-भेरामारा ट्रांसमिशन लाइन का उपयोग किया जा रहा है, जो तीनों देशों को जोड़ती है।

समझौते के अनुसार, नेपाल 15 जून से 15 नवंबर 2025 तक कुल 40 मेगावाट बिजली बांग्लादेश को निर्यात करेगा। यह बिजली नेपाल की जलविद्युत परियोजनाओं से उत्पन्न होगी, जिसे भारत के माध्यम से बांग्लादेश भेजा जा रहा है। शनिवार आधी रात से यह सप्लाई औपचारिक रूप से शुरू हो गया है।

भारत इस परियोजना में केवल एक ट्रांजिट कंट्री नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार की भूमिका में है। भारत के सहयोग के बिना यह विद्युत व्यापार संभव नहीं था। भारत की बिजली पारेषण क्षमता और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी ढांचे ने नेपाल और बांग्लादेश के बीच सेतु का कार्य किया है।

इस परियोजना से नेपाल को अपनी अतिरिक्त जलविद्युत का व्यापार करने का अवसर मिला है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी। बांग्लादेश को गर्मियों के समय में बिजली संकट से राहत मिलेगी और औद्योगिक उत्पादन को बल मिलेगा। वहीं, भारत को क्षेत्रीय शक्ति और मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने का मौका मिला है।

यह पहल न केवल ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग का उदाहरण है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में आर्थिक एकीकरण और क्षेत्रीय स्थायित्व की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। इससे यह सिद्ध होता है कि कूटनीति केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि ऊर्जा, व्यापार और विकास से भी जुड़ी हुई है।



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