प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से - मिलने से पहले कराना होगा - “कोविड टेस्ट”

Jitendra Kumar Sinha
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देश में एक बार फिर कोविड-19 का साया गहराने लगा है। भले ही संक्रमण की रफ्तार पहले जैसी तेज न हो, लेकिन सतर्कता और सावधानी फिर से केन्द्र सरकार की प्राथमिकता बन गई है। इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है “अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने से पहले सभी मंत्रियों को RT-PCR टेस्ट कराना अनिवार्य होगा”। यह निर्णय हाल ही में कोरोना मामलों में दर्ज की गई वृद्धि के मद्देनज़र लिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में देशभर में कोविड-19 के 306 नए मामले सामने आया हैं। हालाँकि यह संख्या चिंताजनक नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस आंकड़े ने सरकार को एक बार फिर अलर्ट कर दिया है। बीते दो वर्षों की भयावहता को देखते हुए, कोई भी जोखिम लेने की गुंजाइश नहीं छोड़ी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते उठाए गए छोटे कदम, भविष्य में बड़ी परेशानियों से बचा सकता हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि किसी भी बैठक या मुलाकात से पहले संबंधित मंत्री या प्रतिनिधि का कोविड टेस्ट अनिवार्य होगा, भले ही उनमें कोई लक्षण न दिखाई दे रहे हों। यह कदम "सतर्क प्रशासन, सुरक्षित राष्ट्र" की नीति के अनुरूप बताया जा रहा है।

यह फैसला उस समय आया है जब देश के कई हिस्सों से फ्लू जैसे लक्षणों की शिकायतें सामने आ रही हैं और कुछ राज्यों ने स्थानीय स्तर पर मास्क को फिर से अनिवार्य कर दिया है। दिल्ली, महाराष्ट्र, और केरल जैसे राज्यों में स्वास्थ्य विभागों को निगरानी तेज करने का आदेश दिया गया है। स्कूलों, कॉलेजों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि वायरस के नए वेरिएंट्स अब भी उभर रहे हैं, जिनकी ट्रांसमिशन स्पीड भले ही कम हो, लेकिन कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए यह घातक साबित हो सकता हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री से मिलने जैसे उच्चस्तरीय आयोजनों में अतिरिक्त एहतियात बरतना एक जिम्मेदार और दूरदर्शी कदम है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की व्यस्तताओं में कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और विदेशी प्रतिनिधियों से मुलाकातें शामिल हैं। ऐसे में संक्रमण का कोई भी जोखिम पूरी सरकार की कार्यशैली को प्रभावित कर सकता है।

जनता से भी अपील की गई है कि वे किसी भी तरह की लापरवाही से बचें, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के मामले में। मास्क पहनना, हाथ धोना, और लक्षण दिखने पर टेस्ट कराना अब भी उतना ही जरूरी है जितना महामारी के चरम समय में था।

सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम एक बार फिर यह याद दिलाता है कि कोविड खत्म भले हो गया हो, लेकिन पूरी तरह गया नहीं है। और जब तक अंतिम केस पूरी तरह न मिट जाए, तब तक सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।



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