राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारतों के निर्माण पर लगी रोक

Jitendra Kumar Sinha
0




अयोध्या, जहां हर पत्थर रामकथा की गवाही देता है, जहां सरयू की लहरों में भी भक्ति की गूंज है, वहीं अब एक ऐतिहासिक निर्णय ने देशभर में लागों का ध्यान खींचा है। अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारतों के निर्माण पर रोक लगा दी है। यह निर्णय सिर्फ एक प्रशासनिक आदेश नहीं है, बल्कि धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और अध्यात्मिक मर्यादा को संरक्षित रखने की एक सार्थक पहल है।

अयोध्या विकास प्राधिकरण ने ‘मास्टर प्लान 2031’ के अंतर्गत यह बड़ा कदम उठाया है। इस योजना के तहत राम मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्रतिबंधित घोषित कर दिया गया है, जिसका सीधा तात्पर्य यह है कि वहां अब कोई ऊंची इमारतें नहीं बन सकेगा। यह निर्णय मंदिर के सौंदर्य, सुरक्षा और श्रद्धा के प्रति समर्पण को ध्यान में रखकर लिया गया है।

अधिकारियों के अनुसार, राम मंदिर को दो परिधियों में बाँटा गया है। पहली परिधि में राम मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी तक, अधिकतम इमारत की ऊँचाई 7 मीटर, मकान या दुकान छोटे और पारंपरिक डिजाइन वाले होने चाहिए। दूसरी परिधि में 2 से 4 किलोमीटर की दूरी तक अधिकतम इमारत ऊँचाई 15 मीटर, आधुनिक भवन निर्माण की सीमित छूट और मंदिर का दृश्य अवरुद्ध न हो। इस दिशा-निर्देश का उद्देश्य साफ है कि राम मंदिर का दृश्य हर दिशा से स्पष्ट रहे, चाहे श्रद्धालु सड़क से आएं या सरयू घाट से।

यह निर्णय महज तकनीकी नहीं है, भारत के वास्तु और धर्म का अनूठा संगम है। आधुनिक विकास की दौड़ में अक्सर ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों की गरिमा खो जाती है। लेकिन अयोध्या में ऐसा नहीं होगा। यहां परंपरा और प्रगति को संतुलित करने का प्रयास किया गया है। राम मंदिर एक ऐसा स्थल है, जिसे करोड़ों हिन्दू जन अपनी आत्मा से जोड़ते हैं। उसकी छवि पर कोई आधुनिक कंक्रीट का ढांचा भारी न पड़े, इस भावना का सम्मान ही इस निर्णय की आत्मा है।

अयोध्या विकास प्राधिकरण ने सिर्फ घोषणा ही नहीं की है, बल्कि शहर भर में नोटिस बोर्ड लगाकर स्पष्ट संदेश भी दिया है। हर बोर्ड में लिखा गया है कि “राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारतों का निर्माण वर्जित है।”
“अनाधिकृत निर्माण पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” “नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना और विध्वंस की कार्यवाही की जाएगी।” यह अनुशासन भविष्य की अयोध्या को वैसा ही बनाए रखने का प्रयास है जैसा कल्पनाओं में ‘रामराज्य’ रहा करता था- शांत, सुंदर और मर्यादित।

निश्चित रूप से यह निर्णय पर्यटन और रियल एस्टेट निवेशकों के लिए कुछ हद तक चुनौतीपूर्ण होगा। लेकिन अगर देखा जाए तो यह स्थायी और सौम्य पर्यटन को बढ़ावा देने का अवसर भी है। कम ऊंचाई वाले भवनों में धार्मिक वास्तुशिल्प, योग-ध्यान केंद्र, और गंगा-जमुनी संस्कृति के संग्रहालय विकसित किया जा सकता हैं। यहां की दुकानें, होटल और धर्मशालाएं एक पारंपरिक लुक में सजाई जाएं, जिससे श्रद्धालुओं को एक वास्तविक रामायणकालीन वातावरण का अनुभव हो।

22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इसके बाद अयोध्या का रूपांतरण शुरू हुआ।नई सड़कें, घाटों का सौंदर्यीकरण, आधुनिक सुविधाओं से युक्त परिवहन, सरयू आरती, रामायण संग्रहालय और डिजिटल सूचना केंद्र। इन सभी विकास कार्यों के बीच यह निर्णय मंदिर परिसर को ‘धर्म-केंद्र’ बनाए रखने की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। महंत राजू दास (हनुमानगढ़ी) ने कहा है कि “यह निर्णय अयोध्या की आत्मा को बचाए रखने के लिए जरूरी था। हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां भी राम मंदिर को वैसा ही देखें जैसा उसकी कल्पना में है।” वहीं, स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि “अब लोग यहां सच्चे भाव से आएंगे। ऊंची इमारतें नहीं होंगी, तो मंदिर का वैभव और बढ़ेगा।”

राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारतों पर रोक एक अनुशासन है, एक संकल्प है, और एक दृष्टिकोण है, जिसमें भव्यता को शांति, वास्तु को भक्ति और विकास को मर्यादा के साथ जोड़ा गया है।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top