अहमदाबाद विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस भयानक दुर्घटना में सैकड़ों लोगों की जान गई, और अब सबसे बड़ी चुनौती है मृतकों की पहचान करना। हादसे में शव इस कदर जल चुके हैं कि परिजनों द्वारा उन्हें पहचानना असंभव हो गया है। ऐसे में डीएनए टेस्ट ही एकमात्र सहारा बना है।
गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने जानकारी दी कि शुक्रवार रात 9 बजे तक 19 शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग के ज़रिए पहचान हो चुकी है। इससे पहले, जिन आठ शवों की पहचान परिजनों द्वारा दृश्य रूप से कर ली गई थी, उन्हें पहले ही सौंपा जा चुका है। अब तक कुल 27 मृतकों की पहचान हो चुकी है।
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में लगभग 270 शव लाए गए हैं। बी.जे. मेडिकल कॉलेज और फॉरेंसिक लैब में दिन-रात विशेषज्ञ काम कर रहे हैं ताकि डीएनए नमूनों का मिलान जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। इस कार्य में देश के अलावा विदेशों से भी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
शवों की पहचान के लिए मृतकों के माता-पिता या सबसे करीबी रिश्तेदारों के डीएनए नमूने लिए जा रहे हैं। इसके बाद शवों से लिए गए अवशेषों के डीएनए के साथ उनका मिलान किया जा रहा है। कई शव बुरी तरह जल चुके हैं या क्षत-विक्षत हैं, जिससे डीएनए निकालना और भी कठिन हो गया है। इसलिए यह प्रक्रिया काफी समय लेने वाली और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है।
पहले जिस शव की डीएनए से पुष्टि हुई थी, उसे परिजनों को सौंप दिया गया है, और दो और शवों को उसी दिन सौंपे जाने की योजना थी। अस्पताल प्रशासन ने परिजनों से निवेदन किया है कि वे तब तक अस्पताल न आएं जब तक उनकी डीएनए रिपोर्ट से पुष्टि नहीं हो जाती, ताकि अव्यवस्था से बचा जा सके।
यह पूरी प्रक्रिया बहुत ही संवेदनशील और पीड़ादायक है। लेकिन सरकार और प्रशासन पूरी निष्ठा से काम में जुटा है, ताकि हर एक शव की पहचान हो सके और उसे उसके परिवार तक सम्मानपूर्वक पहुँचाया जा सके। इस मुश्किल समय में पूरे देश की संवेदनाएँ उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपनों को खोया है।