असीम मुनीर ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की

Jitendra Kumar Sinha
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पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है। उनका दावा है कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़ते तनाव को टालने में अहम भूमिका निभाई और एक संभावित परमाणु युद्ध को रोकने में सफल रहे। असीम मुनीर ने इसे एक “ऐतिहासिक मध्यस्थता” करार दिया और कहा कि ट्रंप की सूझबूझ ने दक्षिण एशिया को विनाश से बचा लिया।


इस बयान के बाद असीम मुनीर को व्हाइट हाउस से आमंत्रण भी मिला, जहां उन्होंने ट्रंप के साथ एक अनौपचारिक लंच किया। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली ने पुष्टि की कि यह आमंत्रण मुनीर द्वारा ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने के बाद दिया गया। ट्रंप ने इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए खुद भी दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, "दो परमाणु शक्तियों के बीच एक बड़ा युद्ध टल गया। पाकिस्तान की तरफ से असीम ने समझदारी दिखाई और भारत के साथ बात करने में मेरी भूमिका निर्णायक रही।"


डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ की और कहा कि उनके साथ बातचीत सकारात्मक रही। ट्रंप का कहना है कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की दिशा में भी अच्छी बातचीत हुई है, जो भविष्य में शांति और स्थायित्व ला सकती है।


हालांकि भारत सरकार ने इन दावों का खंडन किया है। भारत की तरफ से स्पष्ट किया गया कि मई में जो युद्धविराम हुआ, वह दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। भारत के अनुसार, यह एक द्विपक्षीय समझौता था जिसे अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के बिना हासिल किया गया।


इस घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। ट्रंप का नाम पहले भी उत्तर कोरिया और इज़राइल–अरब समझौतों के समय नोबेल के लिए चर्चा में आया था, लेकिन यह पहली बार है जब पाकिस्तान की ओर से खुलकर समर्थन मिला है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ कूटनीतिक बयानबाज़ी है या वाकई ट्रंप ने पर्दे के पीछे कोई बड़ी भूमिका निभाई थी।


फिलहाल, इस मुद्दे पर दक्षिण एशिया की राजनीति गर्म है। जहां पाकिस्तान इस कदम को ट्रंप की "राजनयिक जीत" बता रहा है, वहीं भारत इसे पूरी तरह खारिज कर रहा है। नोबेल समिति की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ट्रंप समर्थकों के बीच यह मांग ज़ोर पकड़ रही है कि उन्हें शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।

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