ईरान पर हमला करने की ट्रंप की योजना को मिली मंज़ूरी, अंतिम आदेश पर रोक — तनाव चरम पर

Jitendra Kumar Sinha
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अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर सैन्य हमले की योजना को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक अंतिम हमले का आदेश नहीं दिया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप इस उम्मीद में हैं कि ईरान बिना सैन्य दबाव के अपने परमाणु कार्यक्रम को रोक देगा। हालांकि यदि ऐसा नहीं होता है, तो अमेरिका ईरान पर हमला करने के लिए तैयार है।


ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने ट्रंप की इन धमकियों को खारिज करते हुए साफ कहा है कि ईरान किसी भी तरह की “बिना शर्त आत्मसमर्पण” नहीं करेगा और अगर अमेरिका ने कोई हमला किया तो उसका भयावह जवाब दिया जाएगा। खामेनेई ने दो टूक कहा कि ईरान अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा, चाहे कोई कुछ भी कर ले।


इधर इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी लगातार अमेरिका पर दबाव बना रहे हैं कि वह ईरान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे। नेतन्याहू चाहते हैं कि अमेरिका, इज़राइल के साथ मिलकर ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमला करे, खासतौर पर फोर्डो परमाणु प्लांट को निशाना बनाया जाए, जो पहाड़ों के नीचे छिपा हुआ है और जिसे केवल B-2 बंकर बस्टर बम से ही नष्ट किया जा सकता है।


अमेरिकी राजनीति के अंदर भी इस मुद्दे पर गहमागहमी है। ट्रंप के कई कट्टर समर्थक, जो 'अमेरिका फर्स्ट' विचारधारा को मानते हैं, इस हमले के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि अमेरिका को एक और युद्ध में नहीं उलझना चाहिए, खासकर तब जब वह पहले ही यूक्रेन और ताइवान के मसले पर तनाव झेल रहा है। दूसरी ओर, ट्रंप के कुछ सलाहकार जैसे स्टीव बैनन चाहते हैं कि अमेरिका इज़राइल को हर हाल में समर्थन दे, भले ही वो प्रत्यक्ष युद्ध में न भी उतरे।


ट्रंप ने कुछ समय पहले एक 60-दिन की समयसीमा दी थी, जिसमें ईरान को फैसला करना था कि वह परमाणु हथियार कार्यक्रम को छोड़ देगा या नहीं। यह समयसीमा अब समाप्त हो चुकी है, लेकिन ट्रंप का मानना है कि एक अंतिम मौका देना चाहिए ताकि ईरान पीछे हटे और बातचीत के रास्ते खुले रहें।


फिलहाल स्थिति बेहद नाजुक है। एक तरफ इज़राइल तैयार बैठा है, अमेरिका की सहमति का इंतजार कर रहा है। दूसरी तरफ ईरान साफ कह चुका है कि वह पीछे नहीं हटेगा और हमला हुआ तो उसका जवाब ऐसा होगा जो दशकों तक याद रखा जाएगा। क्या अमेरिका वाकई अंतिम आदेश देगा या यह सिर्फ एक रणनीतिक दबाव है — आने वाले दिन इस प्रश्न का उत्तर देंगे। फिलहाल, मध्य पूर्व बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।

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