बिहार आज जिस परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, वह केवल आर्थिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि एक व्यापक संरचनात्मक बदलाव है। इस बदलाव के केंद्र में है प्रधानमंत्री पैकेज, जिसने बिहार को न केवल नई ऊर्जा दी है, बल्कि दूरसंचार, डिजिटल तकनीक और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में राज्य को राष्ट्रीय पटल पर एक नई पहचान दिलाई है।
ऊर्जा क्षेत्र: गाँव-गाँव रोशन, शहरों में शक्ति
ऊर्जा मंत्रालय के तहत बिहार में दो बड़ी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन इस परिवर्तन का साक्षात प्रमाण है।
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दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्य को 5,856.35 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया।
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वहीं, इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के अंतर्गत नये 33/11 केवी पावर स्टेशन, ट्रांसफॉर्मर और एचटी तारों की स्थापना पर 255 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
इसके अलावा, बक्सर थर्मल पावर प्रोजेक्ट पर 10,000 करोड़ रुपये की लागत से कार्य अंतिम चरण में है। यह प्रोजेक्ट न केवल बिहार की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बल देगा, बल्कि आस-पास के राज्यों को भी बिजली उपलब्ध कराएगा।
दूरसंचार और डिजिटल कनेक्टिविटी: बिहार हुआ हाइटेक
दूरसंचार विभाग ने डिजिटल इंडिया के विज़न को धरातल पर उतारते हुए बिहार में व्यापक नेटवर्क विस्तार किया है:
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1000 नई मोबाइल टावर (बीटीएस) लगाए गए हैं, जिस पर 250 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
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बीएसएनएल ने राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों—राजगीर, गया, वैशाली, नालंदा और पटना—में 30 वाई-फाई हॉटस्पॉट्स शुरू किए हैं, जिस पर 15 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
ये प्रयास न केवल इंटरनेट एक्सेस को बेहतर बनाएंगे, बल्कि युवाओं और उद्यमियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने में भी सहायक होंगे।
आईटी और स्टार्टअप्स: छोटे शहरों से निकलेगा नया भारत
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बिहार को तकनीकी हब बनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण पहल की हैं:
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दरभंगा और भागलपुर में दो नए सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क बनाए गए हैं।
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ग्रामीण BPO केंद्रों की स्थापना 25.05 करोड़ रुपये की लागत से हुई है ताकि छोटे कस्बों से भी टेक उद्यमी उभर सकें।
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मुजफ्फरपुर और बक्सर में एनआईईएलआईटी केंद्र स्थापित किए गए हैं (9.18 करोड़ रुपये)।
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आईआईटी पटना में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स इनक्यूबेटर का उन्नयन (22.10 करोड़ रुपये) और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईसीटी अकादमी की स्थापना (12.06 करोड़ रुपये) से 52.52 करोड़ रुपये का समग्र निवेश हुआ है।
यह सब मिलकर बिहार के युवाओं को आईटी और नवाचार में देशभर के मुकाबले खड़ा कर रहा है।
पर्यटन: विरासत को मिला नया जीवन
पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री पैकेज के तहत ठोस कार्य हुए हैं। राज्य की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को नये कलेवर में पेश किया गया है:
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स्वदेश दर्शन योजना के तहत:
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जैन सर्किट (चंपापुरी, पावापुरी)
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बौद्ध सर्किट (वैशाली, बोधगया, विक्रमशिला)
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महात्मा गांधी सर्किट (भितिहरवा–तुरकौलिया)
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कांवरिया रूट (सुल्तानगंज–देवघर)कुल मिलाकर 248 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
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पीआरएएसएडी योजना के तहत पटना साहिब का सौंदर्यीकरण व आध्यात्मिक विकास कार्य 44.55 करोड़ रुपये में संपन्न हुआ।
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बोधगया में आईआईटीटीएम (भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान) का स्थायी परिसर प्रस्तावित है जिसकी लागत 50 करोड़ रुपये है।
इन कार्यों ने बिहार को देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक आकर्षक और सुव्यवस्थित गंतव्य बनाया है।
बिहार की नई पहचान
कभी सिर्फ कृषि और इतिहास के लिए पहचाना जाने वाला बिहार अब डिजिटल, ऊर्जा और पर्यटन के क्षेत्र में नयी इबारत लिख रहा है। प्रधानमंत्री पैकेज के जरिए जिस बिहार को नए पंख मिले हैं, वह अब उड़ान भरने को तैयार है—एक ऐसे भविष्य की ओर जहाँ विकास न केवल दिखाई देगा, बल्कि महसूस भी होगा।