गाज़ा पट्टी की ओर मानवीय सहायता लेकर रवाना हुई नौका ‘मडलीन’ को इज़रायली नौसेना ने इंटरसेप्ट कर लिया है। यह नौका अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में थी और इसका मकसद गाज़ा में जारी मानवीय संकट के बीच ज़रूरी सहायता पहुँचाना था। इस अभियान की खास बात यह रही कि इसमें प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और कई मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल थे।
‘फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन’ द्वारा शुरू किए गए इस अभियान की शुरुआत 1 जून को इटली के सिसिली द्वीप के कातानिया बंदरगाह से हुई थी। इस नौका पर सवार लोगों में यूरोपीय सांसद, डॉक्टर, पत्रकार और अन्य कार्यकर्ता भी थे, जिनका इरादा गाज़ा की समुद्री नाकाबंदी को चुनौती देना और ज़रूरतमंद लोगों तक सहायता पहुँचाना था। रिपोर्ट्स के अनुसार, मडलीन पर चिकित्सा उपकरण, दवाएं और अन्य मानवीय राहत सामग्री थी।
इज़रायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने बयान में कहा कि उन्होंने इस नौका को कानून के तहत रोका और इस पर सवार लोगों को इज़रायली तट पर स्थित अशदोद बंदरगाह लाया गया। IDF का दावा है कि गाज़ा में हमास जैसे आतंकी संगठनों को सहायता पहुँचने से रोकने के लिए यह जरूरी था। दूसरी तरफ, मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई को अवैध बताया है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन है।
इस मिशन के दौरान मडलीन ने चार प्रवासियों को भी समुद्र से बचाया था, जिन्हें बाद में इटली के समुद्री निगरानी बल ‘फ्रोंटेक्स’ को सौंप दिया गया। इससे पहले मई में ‘कॉन्शियंस’ नामक एक अन्य फ्लोटिला को भी रोका गया था, और उस पर ड्रोन हमले का आरोप लगा था।
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर से गाज़ा की स्थिति और इज़रायल की नीतियों पर बहस छेड़ दी है। ग्रेटा थनबर्ग जैसी जानी-मानी शख्सियत का इसमें शामिल होना इस मुद्दे को और ज़्यादा वैश्विक सुर्खियों में ले आया है। यह घटना यह सवाल भी उठाती है कि क्या मानवीय सहायता को भी अब राजनीतिक और सैन्य बाधाओं का सामना करना पड़ेगा?