बिहार की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। इस बार मामला सोशल मीडिया और साइबर क्राइम से जुड़ा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जनसुराज अभियान चला रहे प्रशांत किशोर और उनकी टीम के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए साइबर अपराध शाखा में शिकायत दर्ज करवाई है।
BJP का आरोप है कि प्रशांत किशोर की टीम ने पार्टी के नाम पर एक फर्जी सोशल मीडिया पेज बनाया है। इस पेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की तस्वीरें लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई। आरोपों के मुताबिक, इस पेज का इस्तेमाल जनसुराज का प्रचार करने के लिए किया गया, जिससे यह भ्रम पैदा हो कि बीजेपी इस अभियान का समर्थन कर रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी है और जनता को भ्रमित करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें न सिर्फ भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हैं, बल्कि चुनाव से पहले जानबूझकर राजनीतिक माहौल को भटकाने का प्रयास भी है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की 20 जून को प्रस्तावित सीवान यात्रा के पहले इस तरह की साजिशें एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगती हैं। भाजपा नेताओं ने प्रशांत किशोर की टीम पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो कानूनी मोर्चे पर और कड़ा रुख अपनाया जाएगा।
फिलहाल प्रशांत किशोर या उनकी टीम की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन बिहार की राजनीति में इस घटनाक्रम ने एक बार फिर बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के दौर को तेज कर दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे, इस तरह की रणनीतिक चालें और साइबर हमले आम होते जाएंगे। परंतु फर्जीवाड़े के इस मामले ने एक नई बहस जरूर छेड़ दी है – क्या डिजिटल प्रचार अब भरोसे का खेल नहीं रहा?