बिहार की ग्रामीण जनता के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब छोटे-छोटे सरकारी कामों के लिए प्रखंड या जिला मुख्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ग्राम पंचायतों में संचालित लोक सेवा अधिकार (आरटीपीएस) केंद्रों पर 45 नई सेवाओं की शुरुआत की है। इस ऐतिहासिक पहल का मुख्य उद्देश्य सरकारी सेवाओं को सीधे आम नागरिक के दरवाजे तक पहुँचाना और 'सुशासन' की अवधारणा को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है।
बिहार सरकार के इस जनहितैषी कदम से अब ग्रामीण नागरिकों का कीमती समय और पैसा दोनों बचेगा। आय, जाति, और निवास प्रमाण पत्र जैसी कुछ गिनी-चुनी सेवाओं के लिए ही लोग पंचायतों पर निर्भर थे। लेकिन अब, कृषि, परिवहन, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, योजना एवं विकास, राजस्व एवं भूमि सुधार, शिक्षा और समाज कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों की सेवाएँ भी पंचायत स्तर पर ही उपलब्ध होगी।
इस नई व्यवस्था के तहत अब ग्रामीण नागरिक अपनी पंचायत के आरटीपीएस काउंटर से ही कई महत्वपूर्ण काम करा सकेंगे। उदाहरण के तौर पर, परिवहन विभाग से जुड़ी सेवाएँ जैसे लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन, डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस या लाइसेंस में पता बदलवाना अब गाँव में ही संभव होगा। इसी तरह, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से जुड़े काम, जैसे कि भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (एलपीसी) के लिए आवेदन और दाखिल-खारिज की स्थिति की जानकारी भी पंचायत से ही मिल जाएगी।
कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए पंजीकरण, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग से जुड़ी शिकायतें और समाज कल्याण विभाग की विभिन्न पेंशन योजनाओं की जानकारी और आवेदन की प्रक्रिया भी अब सरल हो जाएगी। इससे न केवल आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि सरकारी दफ्तरों में लगने वाली लंबी कतारों से भी निजात मिलेगी।
यह पहल बिहार को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आरटीपीएस केंद्रों के माध्यम से इन सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार की आशंका भी कम होगी। सरकार का लक्ष्य है कि पंचायतें सिर्फ राजनीतिक इकाई न रहकर, सेवा वितरण का एक सशक्त केंद्र बनें।
इस निर्णय से बिहार की लगभग सभी ग्राम पंचायतों के लाखों निवासियों को सीधा फायदा पहुँचेगा। यह कदम ग्रामीण जीवन को सुगम बनाने और सरकारी तंत्र को अधिक जवाबदेह बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
