आज का भारत केवल संकल्पों का देश नहीं रहा, अब वह उन्हें साकार करने के लिए मजबूत ढांचा खड़ा कर रहा है। आर्थिक प्रगति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला की ताकत किसी भी देश के विकास का मेरुदंड बन चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना भारत को तेज, स्मार्ट और संगठित लॉजिस्टिक प्रणाली की ओर ले जा रहा है। इसी क्रम में गुजरात के भरूच जिला के पानोली-उमरवाड़ा क्षेत्र में देश का पहला निजी विकसित कार्गो टर्मिनल शुरू किया गया है, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई "गति शक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान" का उद्देश्य भारत के बुनियादी ढांचे को एकीकृत करना है। इसमें मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का समन्वय, और उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार योजनाबद्ध विकास शामिल है।
गति शक्ति योजना के प्रमुख उद्देश्य है लॉजिस्टिक लागत में कमी, बुनियादी ढांचे की योजना और कार्यान्वयन में तालमेल, ट्रांसपोर्ट के विभिन्न साधनों को एकीकृत करना, रोजगार सृजन और निवेश को आकर्षित करना। पानोली-उमरवाड़ा टर्मिनल इसी योजना का प्रत्यक्ष और व्यावहारिक उदाहरण है।
यह टर्मिनल वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के अंतर्गत विकसित किया गया है। उद्घाटन के दिन डीएफसीसीआइएल (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited) के प्रबंध निदेशक प्रवीण कुमार ने मालगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर इसकी शुरुआत की। इस सुविधा का निर्माण सावरिया शक्ति मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क द्वारा किया गया है। इसकी मुख्य विशेषता है, देश का पहला निजी क्षेत्र में विकसित कार्गो टर्मिनल, उद्योगों को सिंगल विंडो सॉल्यूशन, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और निर्यात सुविधा और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का जल, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से समन्वय।
200 एकड़ में फैला यह ग्रीनफील्ड लॉजिस्टिक पार्क न केवल बुनियादी ढांचे का चमत्कार है, बल्कि यह भविष्य की औद्योगिक रणनीतियों को दिशा भी देगा। भारत सरकार से मान्यता प्राप्त इस पार्क का मकसद है औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ना- पानोली, अंकलेश्वर, झगड़िया, भरूच, दहेज, वस्तुओं की तेज आवाजाही और कंपनियों को कम समय में वितरण सुविधा। इससे संपूर्ण दक्षिण गुजरात क्षेत्र में औद्योगिक ऊर्जा का संचार होगा।
पारंपरिक लॉजिस्टिक्स व्यवस्था की तुलना में पानोली-उमरवाड़ा टर्मिनल कई गुना अधिक उन्नत है, सिंगल विंडो सॉल्यूशन के तहत सभी सेवाएं एक ही जगह है, डिजिटली संचालित माल प्रबंधन प्रणाली, रियल टाइम ट्रैकिंग, स्कैनिंग और कंटेनर प्रबंधन, क्लाइमेट कंट्रोल स्टोरेज यूनिट्स और कस्टम क्लियरेंस के लिए समर्पित तंत्र। यह टर्मिनल केवल माल ढुलाई का केंद्र नहीं है, बल्कि इंडस्ट्री 4.0 के लॉजिस्टिक्स संस्करण का प्रतीक है।
पानोली टर्मिनल की पहुंच केवल भरूच तक सीमित नहीं है। यह संपूर्ण दक्षिण गुजरात के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों को सेवाएं प्रदान करेगा। पानोली GIDC रसायन, दवाइयों और इंजीनियरिंग इकाइयों का केंद्र, अंकलेश्वर GIDC एशिया का सबसे बड़ा रासायनिक औद्योगिक क्षेत्र, झगड़िया GIDC भारी उद्योगों और फार्मा क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध और दहेज SEZ निर्यात केंद्र और पेट्रोकेमिकल हब। टर्मिनल से इन सभी क्षेत्रों को विश्व स्तरीय लॉजिस्टिक सुविधा मिलेगी, जिससे उत्पाद की लागत घटेगी और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
टर्मिनल और लॉजिस्टिक पार्क से हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसमें मुख्यत माल हैंडलिंग, कस्टम और क्लियरेंस सेवाएं, परिवहन संचालन, आईटी और डाटा एनालिटिक्स, सुरक्षा एव निगरानी क्षेत्र जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त, यह स्थानीय युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट और लॉजिस्टिक्स उद्यमिता का द्वार भी खोलता है।
भारत विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन लॉजिस्टिक पर उच्च लागत इसका एक बड़ा अवरोध रहा है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी का लगभग 13% है, जबकि विकसित देशों में यह 8-9% तक सीमित है। पानोली जैसे टर्मिनलों के माध्यम से लागत घटेगी, समय की बचत होगी, प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री का "मेक इन इंडिया" सपना तभी साकार होगा जब भारत निर्मित वस्तुएं न केवल देश में, बल्कि विश्व के बाजारों में समय पर और कम लागत में पहुंच सके। यह टर्मिनल विशेष रूप से निर्यात केंद्रों तक तेज कनेक्टिविटी, हवाई अड्डों और बंदरगाहों से माल जोड़ना तथा सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को आसान बनाना। इससे विशेष रूप से एमएसएमई, फार्मा, केमिकल, टेक्सटाइल, और इंजीनियरिंग कंपनियों को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा।
भरूच जिले के पानोली-उमरवाड़ा क्षेत्र में बना यह आधुनिक कार्गो टर्मिनल न केवल एक संरचनात्मक उपलब्धि है, बल्कि यह गति शक्ति योजना की सफलता का जीवंत उदाहरण है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल योजनाएं नहीं बनाता है, बल्कि उन्हें मूलभूत संरचनाओं में बदलकर भविष्य की नींव रखता है। इस टर्मिनल से भरूच और आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक क्रांति आएगी, युवाओं को रोजगार और स्किल का मौका मिलेगा, भारत की लॉजिस्टिक्स रैंकिंग में सुधार होगा, 'मेक इन इंडिया' को वैश्विक समर्थन मिलेगा और सबसे महत्वपूर्ण है देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगी 'नई गति'।
