सूफी संत की आड़ में - समाज और राष्ट्र के विरुद्ध साजिश

Jitendra Kumar Sinha
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उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरा देश को चौंका दिया है। एक सूफी संत के वेश में छुपा 'छांगुर बाबा' उर्फ जलालुद्दीन जमालुद्दीन न केवल मासूम लड़कियों को धर्मांतरण के जाल में फंसा रहा था, बल्कि इसके पीछे करोड़ों की विदेशी फंडिंग और एक संगठित अंतरराष्ट्रीय गिरोह का संचालन भी कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी और आलीशान बंगले पर बुलडोजर की कार्रवाई ने न केवल राज्य को, बल्कि पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि धर्म के नाम पर कितनी गहरी साजिशें रची जा रही हैं।

छांगुर बाबा का असली नाम जलालुद्दीन जमालुद्दीन है, जो खुद को हजरत जलालुद्दीन पीर बाबा के रूप में प्रस्तुत करता था। वह कथित रूप से बलरामपुर के उत्तरौला क्षेत्र में स्थित अपने 40 कमरों वाले बंगले से एक धर्मांतरण का बड़ा नेटवर्क चला रहा था। उसके बंगले में मजार पर चढ़ाई जाने वाली चादर, इत्र, माला, धार्मिक किताबें और कई ऐसे प्रतीक मिले जो एक धार्मिक स्थल की छवि प्रस्तुत करता था। लेकिन पर्दे के पीछे उसकी असलियत कुछ और ही थी वह धर्म का सहारा लेकर भोले-भाले लोगों को बरगला रहा था।

यूपी एटीएस की रिपोर्ट के अनुसार, छांगुर बाबा को पिछले कुछ वर्षों में करीब 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली। यह धनराशि विभिन्न देशों से हवाला चैनल्स के जरिए भेजी गई थी, जिसका उपयोग उसने प्रॉपर्टी खरीदने, दरगाह के प्रचार और धर्मांतरण में किया। बलरामपुर में आलीशान 40 कमरों का बंगला, उत्तरौला बाजार में दो बड़े शोरूम, सहयोगी नीतू रोहरा के नाम से फ्लैट और दुकानें, बहराइच, लखनऊ और दिल्ली में प्लॉट और मकान। इन सभी संपत्तियों पर अब प्रशासन की निगाहें हैं और उन्हें अवैध घोषित कर जब्त किया जा रहा है।

छांगुर गिरोह का तरीका बेहद शातिराना था। इसके सदस्य हिन्दू नाम रखकर लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाता था । उदाहरण के लिए, लखनऊ की गुंजा गुप्ता को 'अमित' नामधारी अबू अंसारी ने फंसाया और छांगुर के पास दरगाह ले गया। वहां उसका ब्रेनवाश किया गया और उसका नाम बदलकर अलीना अंसारी रखा गया।

नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जमालुद्दीन की भूमिका ऐसा था कि यह दोनों छांगुर बाबा के खास सहयोगी थे। नीतू, जो खुद पहले हिन्दू थी, अब नसरीन बन चुकी थी और महिलाओं को ब्रेनवॉश करने में अहम भूमिका निभाती थी। वहीं नवीन उर्फ जमालुद्दीन पुरुषों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रलोभन देता था। छांगुर बाबा ने धर्मांतरण के लिए जाति के आधार पर फिक्स रेट तय कर रखा था। अगड़ी जाति की लड़की का धर्म परिवर्तन पर ₹15–16 लाख, पिछड़ी जाति की लड़की पर ₹10–12 लाख और अन्य जातियों की लड़की पर ₹8–10 लाख। यह पूरी व्यवस्था व्यापारिक और अमानवीय सोच का घिनौना उदाहरण है, जिसमें इंसानों को वस्तु की तरह बेचा और खरीदा जा रहा था।

छांगुर बाबा इस गिरोह का मुखिया था। उसके निर्देशन में पूरा धर्मांतरण तंत्र चलता था। वह स्वयं हर केस की निगरानी करता था और 'संत' की छवि में रहकर सामाजिक स्वीकार्यता अर्जित करता था।

छांगुर बाबा के स्थानीय सहयोगी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन, नवीन उर्फ जमालुद्दीन, अबू अंसारी उर्फ अमित यह सभी देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर प्रेमजाल, आर्थिक सहायता, और सामाजिक कल्याण का लालच देकर धर्मांतरण करवाते थे।

यूपी एटीएस को जांच में पाकिस्तान, खाड़ी देशों और ब्रिटेन में बैठे कई संदिग्ध लोगों के साथ संपर्क मिला है। उन्हें शक है कि यह गिरोह भारत में सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने और अस्थिरता पैदा करने की बड़ी साजिश का हिस्सा था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने छांगुर बाबा की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई की शुरुआत की है। मंगलवार को बलरामपुर के उत्तरौला में स्थित उसके आलीशान बंगले पर बुलडोजर चला दिया गया। बुधवार को यह कार्रवाई उसके अन्य शोरूम और संपत्तियों पर जारी रहा।

नीतू रोहरा की दर्जनों संपत्तियां लखनऊ और बहराइच में हैं, जिनमें से कुछ को प्रशासन ने अवैध करार देते हुए कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बेहद गंभीर और राष्ट्र विरोधी गतिविधि करार देते हुए सख्त बयान दिया है । उन्होंने कहा है कि "हमारी सरकार बहन-बेटियों की गरिमा और सुरक्षा के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। आरोपी जलालुद्दीन की गतिविधियां समाज विरोधी ही नहीं, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी हैं। उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी, जो समाज के लिए उदाहरण बने।" यह बयान स्पष्ट करता है कि सरकार इस तरह की साजिशों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है।

छांगुर बाबा और उसके गिरोह ने सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया है। फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर ‘पीर बाबा’, ‘सूफी संत’ और ‘इस्लामिक आध्यात्मिक समाधान’ जैसे पेजों के जरिए यह लोग, लोगों तक पहुंच बनाते थे। धार्मिक चमत्कारों और ‘भूत भगाने’ के नाम पर लोगों को आकर्षित किया जाता था।

कानूनी कार्यवाही के तहत संभव है कि धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना), धारा 120B (षड्यंत्र) और धारा 153A (धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाना) लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम 2021 के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच एनआईए तक पहुंच सकती है क्योंकि विदेशी फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय संलिप्तता के संकेत मिला है।

यह घटना केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, यह समाज के लिए एक चेतावनी है। जब धार्मिक आस्था को ढाल बनाकर मासूम लोगों का शोषण किया जाता है, जब धर्मांतरण को व्यापार बना दिया जाता है, और जब राष्ट्र विरोधी ताकतें इस माध्यम से देश की एकता को चुनौती देता है तब पूरे समाज को सजग होने की आवश्यकता होती है।

छांगुर बाबा की गिरफ्तारी और उसके साम्राज्य पर बुलडोजर चलना केवल एक व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं है, यह एक सोची-समझी वैचारिक लड़ाई का प्रतीक है जो धर्म, विश्वास, महिला गरिमा, और राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ी हुई है। 



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