बिहार के औद्योगिक परिदृश्य में एक बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड राज्य के मधुबनी जिला के लोहट औद्योगिक क्षेत्र में एक अत्याधुनिक कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट और ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर प्लांट की स्थापना करने जा रहा है। बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) ने इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के लिए मंगलवार को 26.60 एकड़ भूमि आवंटित किया है।
इस परियोजना में करीब 125 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है, जो बिहार की औद्योगिक विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल प्रदेश में हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) एक स्वच्छ और अक्षय ईंधन है, जो कृषि अपशिष्ट, गोबर, जैविक कचरे और अन्य गैर-प्रयुक्त कृषि अवशेषों से तैयार किया जाता है। मधुबनी में बनने वाला यह प्लांट 7875 टन CBG का वार्षिक उत्पादन करेगा, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी और डीजल-सीएनजी का हरित विकल्प होगा।
रिलायंस द्वारा प्रस्तावित प्लांट सिर्फ ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें सालाना 80,000 टन ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का भी उत्पादन होगा, जिससे बिहार के किसानों को गुणवत्ता युक्त और पर्यावरण-संवेदनशील खाद सुलभ होगा।
यह राज्य में दूसरी CBG यूनिट होगा, लेकिन अब तक की सबसे बड़ा। साथ ही यह बिहार का पहला जैविक उर्वरक (Bio-fertilizer) प्लांट भी होगा। इस पहल से राज्य की ग्रीन इकोनॉमी को भी गति मिलेगा।
BIADA की साप्ताहिक प्रोजेक्ट क्लियरेंस कमेटी की बैठक में कुल 178 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति मिली है। बैठक की अध्यक्षता BIADA के मैनेजिंग डायरेक्टर कुंदन कुमार ने की। आठ औद्योगिक क्षेत्रों में नौ कंपनियों को 32.36 एकड़ भूमि आवंटित किया गया है, जिसमें खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, रबर, प्लास्टिक, सामान्य विनिर्माण और बायोगैस शामिल हैं।
इस परियोजना से स्थानीय किसानों को फसल अवशेषों को बेचकर अतिरिक्त आय होगी, वहीं युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। यह पहल क्लीन एनर्जी, वेस्ट मैनेजमेंट और सस्टेनेबल डेवलपमेंट की दिशा में बिहार की बड़ी छलांग है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की यह पहल बिहार को हरित ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। साथ ही, यह प्रदेश के औद्योगिक विकास, पर्यावरण-संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण में सहायक साबित होगा। मधुबनी की धरती अब ऊर्जा उत्पादन और जैविक खेती के नये अध्याय की साक्षी बनने जा रहा है।
