हिट एंड रन के तहत पटना में 427 परिवारों को मिला मुआवजा राहत

Jitendra Kumar Sinha
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सड़क पर फर्राटा भरते अज्ञात वाहन जब किसी की जान ले लेता है या किसी को गंभीर रूप से घायल कर देता हैं, तो पीड़ित परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। दोषी की पहचान न हो पाने की सूरत में न्याय और मुआवजे की आस भी धूमिल हो जाता है। ऐसे ही असहाय परिवारों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार की "हिट एंड रन मुआवजा योजना" एक मजबूत सहारा के रूप में सामने आई है, और बिहार की राजधानी पटना इस योजना के क्रियान्वयन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

पटना जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2022 से 4 जून 2025 के बीच जिला में कुल 4,102 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से 2,223 मामले 'हिट एंड रन' के थे। इन मामलों में पीड़ित परिवारों की मदद के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक 427 पीड़ितों को मुआवजा राशि दी चुकी है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।

यह योजना 2022 में उन सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता के लिए शुरू की गई थी, जिनमें टक्कर मारने वाले वाहन और चालक का पता नहीं चल पाता है। इस योजना के अंतर्गत, मृतक के आश्रितों को दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। पटना जिला में इस योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में कुल 631 आवेदन प्राप्त हुआ। इनमें से 414 मृतक आश्रितों को कुल आठ करोड़ 28 लाख रुपये और 15 गंभीर घायलों को सात लाख 50 हजार रुपये का भुगतान किया गया है।

पटना के जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) उपेंद्र कुमार पाल ने लोगों से इस योजना के प्रति जागरूक रहने की अपील की है। उन्होंने कहा, "सड़क दुर्घटना में कई बार दोषी वाहन का पता नहीं चल पाता। ऐसी स्थिति में यह योजना पीड़ित परिवारों के लिए एक बहुत बड़ी राहत बनकर उभरी है।" उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2022 के बाद हुई दुर्घटनाओं के पीड़ित या उनके आश्रित मुआवजे के लिए परिवहन विभाग में आवेदन कर सकते हैं।

सरकार ने आवेदन प्रक्रिया को बेहद सरल रखा है ताकि पीड़ित परिवारों को समय पर सहायता मिल सके। आवेदन का तरीका है पीड़ित परिवार परिवहन विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन या सीधे डीटीओ कार्यालय में ऑफलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं। आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज में दुर्घटना की प्राथमिकी (FIR) की प्रति, मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र, मृतक और आश्रित का आधार कार्ड, पारिवारिक सूची (विवाहित दंपत्ति पर लागू नहीं), बैंक पासबुक की छायाप्रति संलग्न करना होगा।

यह योजना न केवल पीड़ित परिवारों को तत्काल आर्थिक संबल प्रदान कर रही है, बल्कि यह सड़क सुरक्षा की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस बात को सुनिश्चित करता है कि किसी अज्ञात वाहन की गलती का खामियाजा किसी परिवार को अकेले न भुगतना पड़े।

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