उत्तराखंड की देवभूमि को अपवित्र करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा कदम उठाया है। सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने, उनकी धार्मिक भावनाओं से खेलने और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाले छद्म भेषधारियों के खिलाफ अब “ऑपरेशन कालनेमि” चलेगा। सीएम धामी ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि अब आस्था के नाम पर पाखंड बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
“ऑपरेशन कालनेमि” पौराणिक कथा के अनुसार “कालनेमि” एक असुर था जिसने साधु का भेष धारण कर श्रीराम के अनुयायियों को भ्रमित करने का प्रयास किया था। आज भी कुछ लोग उसी तरह साधु-संतों का झूठा चोला पहनकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, खासकर चारधाम यात्रा और सावन के पावन महीने में। ऑपरेशन कालनेमि का उद्देश्य ऐसे पाखंडियों की पहचान, जांच और कार्रवाई करना है।
हाल ही में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में कई ठगी और धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जिसमें फर्जी बाबाओं ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उपचार, भविष्यवाणी और सिद्धि-साधना के नाम पर लूटा। कुछ मामलों में ऐसे लोग अपराधों में लिप्त पाए गए और फरार हो गए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि “जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, उसी प्रकार आज भी कई कालनेमि सक्रिय हैं। हमारी सरकार सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वालों को बिलकुल बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अब पुलिस और खुफिया एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है। चारधाम यात्रा मार्गों, मंदिर परिसरों और धार्मिक मेलों में संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। फर्जी बाबाओं की पहचान, उनका पंजीकरण और पूर्व इतिहास की जांच की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
उत्तराखंड न सिर्फ एक राज्य है, बल्कि यह आस्था, विश्वास और संस्कृति की भूमि है। यहां का प्रत्येक तीर्थस्थल भारत की सनातन परंपरा से जुड़ा है। ऐसे में पाखंडी संतों द्वारा फैलाई जा रही भ्रांति और धोखाधड़ी, देवभूमि की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है।
“ऑपरेशन कालनेमि” केवल एक प्रशासनिक अभियान नहीं है, बल्कि धार्मिक मर्यादा और आस्था की रक्षा की दिशा में एक सशक्त कदम है। मुख्यमंत्री धामी का यह पहल दिखाता है कि उत्तराखंड सरकार न सिर्फ विकास के पथ पर अग्रसर है, बल्कि संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है।
