बीते कुछ दशकों में भारत सहित पूरी दुनिया में शहरीकरण की रफ्तार तेजी से बढ़ी है। जैसे-जैसे शहरों का विस्तार हुआ, रहन-सहन का तरीका भी बदला। अब लोग विशाल बंगलों या स्वतंत्र मकानों की बजाय बहुमंजिला अपार्टमेंट्स और गेटेड सोसाइटीज में रहना अधिक पसंद कर रहे हैं। लेकिन क्या यह बदलाव सिर्फ सुविधा से जुड़ा है या इसके पीछे कुछ अन्य सामाजिक और आर्थिक कारण भी हैं?
आज के आधुनिक अपार्टमेंट्स में न सिर्फ फ्लैट होता है, बल्कि स्विमिंग पूल, क्लब हाउस, जिम, कम्युनिटी हॉल, बच्चों के खेलने की जगह और वॉकिंग ट्रैक जैसी कई सुविधाएं भी मिलती हैं। यह सब कुछ एक ही परिसर में उपलब्ध होता है। अपार्टमेंट में रहना एक तरह से मिनी-समाज में रहने जैसा होता है। यहां अपने आस-पास के लोगों से आसानी से मिलते हैं, त्योहार और आयोजन सामूहिक रूप से मनाते हैं जिससे समाजिक बंधन मजबूत होता है। स्वतंत्र मकान में हर चीज का रखरखाव खुद करना पड़ता है जबकि अपार्टमेंट में यह काम बिल्डर या सोसाइटी द्वारा किया जाता है। जैसे – लिफ्ट की मरम्मत, सफाई, सीवेज सिस्टम, गार्डनिंग आदि। सीसीटीवी कैमरे, सिक्योरिटी गार्ड्स और गेटेड एंट्री जैसी सुविधाएं अपार्टमेंट्स को ज्यादा सुरक्षित बनाता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। प्रॉपर्टी के लिहाज से अपार्टमेंट का मूल्य अधिक तेजी से बढ़ता है क्योंकि यह शहरों के केंद्र में होता है और वहां सुविधाएं अधिक होती हैं। किराये पर देना भी आसान होता है।
अपार्टमेंट में दीवारें साझा होती हैं, पड़ोसी नजदीक होते हैं और आवाजें आसानी से एक घर से दूसरे घर में पहुंच जाती हैं। ऐसे में एकांत या निजता नहीं मिल पाता है। स्वतंत्र मकान की तुलना में अपार्टमेंट में स्थान सीमित होता है। कोई बगीचा, टैरेस गार्डन, या अतिरिक्त स्टोर स्पेस नहीं होता है। हर सोसाइटी के अपने नियम होते हैं, जैसे पालतू जानवर रखने की सीमा, तेज आवाज में संगीत न बजाना, बाहर कपड़े न सुखाना आदि। ये नियम कभी-कभी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर असर डालता है। भले ही एक फ्लैट के लिए एक पार्किंग दी जाए, लेकिन मेहमानों के लिए पार्किंग की जगह मिलना मुश्किल होता है। साथ ही, ज्यादा वाहनों की स्थिति में असुविधा होती है। अगर घर में कोई बड़ा बदलाव करना चाहते हैं (जैसे बालकनी को कवर करना), तो सोसाइटी की अनुमति लेनी पड़ती है। कई बार जरूरी काम भी देरी से होते हैं।
गेटेड कम्युनिटी और 24x7 सिक्योरिटी की व्यवस्था अपार्टमेंट सोसाइटी को सुरक्षित बनाता है। बाहरी लोगों की एंट्री पर नियंत्रण होता है और बच्चों के लिए यह एक सुरक्षित वातावरण बनाता है। होली, दिवाली, गणेश चतुर्थी, स्वतंत्रता दिवस जैसे त्यौहारों को सामूहिक रूप से मनाना एक अलग ही अनुभव होता है। इससे बच्चों को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का अवसर मिलता है। बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं या किसी अन्य आपात स्थिति में पड़ोसी मदद के लिए तत्पर रहते हैं। यह सामाजिक सुरक्षा का भाव उत्पन्न करता है। सोसाइटी में बेंच, वॉकिंग ट्रैक, मंदिर और अन्य सामाजिक स्थान बुजुर्गों को जीवन में सक्रिय और खुश रखते हैं। अपार्टमेंट सोसाइटी में फ्लैट्स की डिमांड अधिक होती है, जिससे किराया भी अच्छा मिलता है। इसके अलावा पुनर्विक्रय (resale) में भी लाभ होता है।
सोसाइटी में व्यक्तिगत इच्छाओं के ऊपर सामूहिक निर्णय हावी होता है। जैसे बालकनी को बगीचा बना लें, लेकिन नियम इसकी अनुमति नहीं देता है। हर महीने सोसाइटी मेंटेनेंस के लिए शुल्क वसूलती है, जिसमें सिक्योरिटी, सफाई, बिजली आदि का खर्च शामिल होता है। यह राशि कई बार काफी अधिक हो सकता है। सोसाइटी में कमेटी और RWA (Residents Welfare Association) की राजनीति भी होती है। आरोप-प्रत्यारोप, मतभेद और गुटबंदी की स्थिति उत्पन्न होती है। कुछ सोसाइटीज में बिल्डर निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग कर लेते हैं जिससे 4-5 साल में ही सीलन, पाइप लीकेज और दरारें आने लगती हैं। अगर सोसाइटी में नए टावर बन रहे हों या पुराने फ्लैट्स में मरम्मत हो रही हो, तो लगातार शोर बना रहता है जिससे मानसिक तनाव होता है।
सीसीटीवी कैमरा, बायोमेट्रिक एंट्री, इंटरकॉम और गार्ड की निगरानी से चोरी, सेंधमारी और बाहरी घुसपैठ की घटनाएं बहुत कम होती हैं। खेलने के स्थान में सुरक्षा कर्मियों की उपस्थिति और अजनबियों की एंट्री पर नियंत्रण से महिलाएं और बच्चे खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। गेट पर मौजूद गार्ड एम्बुलेंस, पुलिस या फायर ब्रिगेड को जल्दी बुला सकते हैं। इसके अलावा, इमारत के अंदर इंटरकॉम सिस्टम से तुरंत सहायता मांगी जा सकती है। आज के समय में ऑनलाइन डिलीवरी बहुत आम हो गई है। सिक्योरिटी गार्ड द्वारा डिलीवरी ब्वाय की एंट्री लॉग करना, OTP के बाद प्रवेश देना, यह सुविधा अपार्टमेंट को सुरक्षित बनाता है।
हर गतिविधि सीसीटीवी में रिकॉर्ड होना कुछ लोगों के लिए असहजता पैदा करता है। कई बार यह निजता के उल्लंघन जैसा भी लगता है। यदि सिक्योरिटी गार्ड सतर्क न हो या पर्याप्त प्रशिक्षित न हो, तो सुरक्षा में चूक हो सकता है। कई बार गार्ड अंदरूनी जानकारी लीक कर देता है। सख्त गेट एंट्री से मेहमानों को बार-बार अपनी पहचान बतानी पड़ती है, जिससे कभी-कभी असहज स्थिति बनती है। सुरक्षा के लिए लगने वाले सीसीटीवी, बूम बैरियर, बायोमेट्रिक सिस्टम आदि का रखरखाव महंगा होता है, जिसका बोझ निवासियों पर आता है।
स्वतंत्र मकान में स्वतंत्रता अधिक होता है जबकि अपार्टमेंट में स्वतंत्रता सीमित होता है। स्वतंत्र मकान में सुरक्षा सीमित होता है जबकि अपार्टमेंट में उच्च श्रेणी का होता है। स्वतंत्र मकान में रखरखाव खुद की जिम्मेदारी होता है लेकिन अपार्टमेंट में सोसाइटी द्वारा होता है। स्वतंत्र मकान में स्थान अधिक होता है जबकि अपार्टमेंट में सीमित होता है। स्वतंत्र मकान में शांति और निजता अधिक होता है जबकि अपार्टमेंट में सीमित होता है।
अपार्टमेंट में किरायेदार की तरह प्रत्येक माह रखरखाव पर एक मोटी रकम देनी होती है। अपने फ्लैट से बाहर न कपड़ा पसार सकते हैं, न ही बालकोनी को कवर कर सकते हैं। निर्धारित समय पर निर्धारित स्थान पर यदि कचरा नहीं देते हैं या नहीं रखते हैं तो फाईन देना होता है। एक फ्लोर पर रहने वालों की मित्रता सिर्फ सामूहिक कार्यक्रम में एक साथ शामिल होने का होता है बाकी शेष दिन आप जिंदा हैं या मृत, किसी दूसरों को पता नहीं रहता है यानि अपने अपने फ्लैट तक सीमित रहते हैं। अपार्टमेंट के फ्लैट का लीज 99 वर्ष का होता है उसके बाद……..?
कोई भी आवासीय विकल्प संपूर्ण नहीं होता है। यह जीवनशैली, प्राथमिकताओं और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है कि किस विकल्प को चुनते हैं। यदि एकांतप्रिय हैं, ज्यादा जगह और स्वतंत्रता चाहते हैं और सुरक्षा खुद संभाल सकते हैं, तो स्वतंत्र मकान उपयुक्त है। यदि केवल समूह में सामूहिक उत्सव, सुरक्षा और सुविधाओं के साथ रहना चाहते हैं, तो अपार्टमेंट सोसाइटी बेहतर है।
भविष्य का रुझान यही दर्शाता है कि बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण लोग सोसाइटी अपार्टमेंट्स की मांग और निर्माण में और तेजी आ रही है।
