बिहार में किन्नर कल्याण के लिए “राज्य किन्नर कल्याण बोर्ड” हुआ पुनर्गठित

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार सरकार ने सामाजिक समानता और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बिहार राज्य किन्नर कल्याण बोर्ड का पुनर्गठन किया है। यह बोर्ड राज्य के किन्नर समुदाय के कल्याण, अधिकारों की रक्षा और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कार्य करेगा। समाज कल्याण विभाग के नेतृत्व में पुनर्गठित इस बोर्ड से उम्मीद किया जा रहा है कि यह किन्नरों की समस्याओं के समाधान के साथ-साथ उन्हें मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाएगा।


पुनर्गठित बोर्ड का अध्यक्ष समाज कल्याण विभाग के मंत्री को बनाया गया है, जिससे नीति निर्धारण और योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी। इसके साथ ही, बिहार राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष या उनके द्वारा मनोनीत सदस्य, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष या उनके द्वारा मनोनीत सदस्य, और समाज कल्याण विभाग के सचिव उपाध्यक्ष के रूप में रहेंगे। बोर्ड के निदेशक को सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है, जो योजनाओं के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करेंगे।


बोर्ड में 15 विभिन्न सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है, जिससे किन्नर कल्याण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जा सके। साथ ही, सात गैर-सरकारी सदस्यों को भी नामित किया गया है, जिनमें राजन सिंह, अनुप्रिया सिंह, शांति नायक, संतोष कुमार, अदविका चौधरी, साजन कुमार और बबली किन्नर शामिल हैं। गैर-सरकारी सदस्यों की मौजूदगी यह सुनिश्चित करेगी कि निर्णय प्रक्रिया में किन्नर समुदाय की सीधी भागीदारी हो और उनकी वास्तविक समस्याओं को प्राथमिकता दी जाए।


इस पुनर्गठन से किन्नर समुदाय को कई क्षेत्रों में लाभ मिल सकता है। शिक्षा और रोजगार के अवसर- विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, कौशल विकास योजनाएँ और नौकरी में आरक्षण जैसी पहलें बढ़ सकती हैं। स्वास्थ्य सुविधाएँ- मुफ्त या सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और विशेष चिकित्सा शिविर आयोजित किए जा सकते हैं। सामाजिक स्वीकृति- जनजागरूकता अभियान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में किन्नरों के प्रति दृष्टिकोण में सुधार आ सकता है। कानूनी सुरक्षा- भेदभाव, हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में शीघ्र कार्रवाई और कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है।


बिहार राज्य किन्नर कल्याण बोर्ड का पुनर्गठन एक सकारात्मक पहल है जो न केवल किन्नर समुदाय के उत्थान की राह खोलेगा, बल्कि समाज को भी समावेशिता और समानता की दिशा में आगे बढ़ाएगा। अगर इस बोर्ड के उद्देश्यों और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह देशभर में किन्नर कल्याण की एक मिसाल बन सकता है।

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