सीता जन्मभूमि पुनौरा धाम - 11 माह में साकार होगा “भव्य मंदिर"

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित पुनौरा धाम को माता सीता का पौराणिक जन्मस्थान माना जाता है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब यहाँ एक भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य तेज़ी से प्रगति पर है, जिसे अगले 11 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।


इस मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत भूमिपूजन के साथ हुई, जिसे ऐतिहासिक और अद्वितीय बनाने के लिए देशभर से पवित्र सामग्री मंगवाई गई। 21 तीर्थ स्थलों की मिट्टी और 31 पवित्र नदियों का जल एकत्र कर भूमिपूजन में उपयोग किया गया, जिससे पूरे देश की आस्था का संगम यहाँ दिखाई दिया। राजस्थान की राजधानी जयपुर से चांदी के कलश, दिल्ली से चांदी के बने पूजा के बर्तन और आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर से लड्डू मंगवाए गए। इन सभी वस्तुओं ने इस समारोह की भव्यता को और बढ़ा दिया।


बिहार सरकार ने इस परियोजना के लिए कुल ₹882.87 करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें से ₹137 करोड़ पुराने मंदिर और परिसर के विकास पर खर्च किए जाएंगे, जबकि ₹728 करोड़ पर्यटन सुविधाओं और आधुनिक ढांचे के निर्माण में लगाए जाएंगे। इस राशि का उद्देश्य केवल धार्मिक स्थल का निर्माण ही नहीं, बल्कि इसे एक प्रमुख पर्यटन हब के रूप में विकसित करना भी है।


भविष्य का पुनौरा धाम केवल एक मंदिर नहीं होगा, बल्कि एक धार्मिक-सांस्कृतिक कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रस्तावित सुविधाओं में शामिल हैं- परिक्रमा पथ, यज्ञ मंडप, संग्रहालय (जहाँ माता सीता और रामायण से जुड़ी सामग्री व इतिहास प्रदर्शित होंगे), सभागार, कैफेटेरिया, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, धर्मशाला, सीता वाटिका और लव-कुश वाटिका, पार्किंग एरिया और अन्य सुविधाएं। इन सभी सुविधाओं का उद्देश्य यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों और शोधकर्ताओं को एक समृद्ध अनुभव प्रदान करना है।


मंदिर निर्माण के पूरा होने के बाद यह स्थल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन सकता है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आएंगे, जिससे स्थानीय व्यापार, होटल उद्योग और हस्तशिल्प को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।


पुनौरा धाम का महत्व केवल आस्था तक सीमित नहीं है। यह स्थान भारतीय संस्कृति, मर्यादा और त्याग की प्रतीक माता सीता की जन्मस्थली होने के कारण एक विरासत है। आने वाले समय में भव्य मंदिर का निर्माण इस विरासत को और भी गरिमा प्रदान करेगा।


11 महीनों बाद जब मंदिर का शुभारंभ होगा, तो यह न केवल एक धार्मिक घटना होगी, बल्कि बिहार के लिए गौरव और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का क्षण भी होगा। पुनौरा धाम, एक बार फिर भारत के धार्मिक नक्शे पर अपनी सुनहरी पहचान बनाने के लिए तैयार है।

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